Air Chief Marshal Vivek Ram Chaudhari Statement: वायुसेना अध्यक्ष एयरचीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर अगर तनाव की स्थिति लंबे समय तक भी चलती है तो भारत पहले के मुकाबले अधिक बेहतर तरीके से तैयार है. नए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत की सीमाओं पर उभरने वाले खतरों और दुश्मन के हथियारों को ध्यान में रखते हुए ही सैनिकों और हथियारों को तैयार किया जाता है.
मजबूत स्थिति में है वायुसेनाः चौधरी
एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे वायुसेनाध्यक्ष का कहना था कि पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर शुरुआत में कुछ दिक्कतें आईं. सर्दियों के लिए यूनिफॉर्म से लेकर तैनाती की चुनौतियां थी. मगर अब भारतीय वायुसेना पिछले साल के मुकाबले कहीं मजबूत स्थिति में है. ऐसे में अगर तनाव को लंबा चलाने की कोशिश होती है तो भी हम उसके लिए मोर्चा लेने के लिए तैयार हैं.
ध्यान रहे कि बीते 18 महीनों से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा तनाव से मुकाबले के लिए भारत ने अपनी सैन्य तैनाती को काफी मजबूत किया है. इसमें तोपखाने और बख्तरबंद टुकड़ियों के साथ ही वायुसेना की मौजूदगी को भी बढ़ाया गया है. इतना ही नहीं चीन के साथ सटी 3488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी चौकसी को मुस्तैद किया गया है.
चीन और पाकिस्तान की सैन्य चुनौती के लिए तैयारः चौधरी
इंडियन डिफेंस कान्क्लेव में शरीक हुए एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत अपनी सैन्य योजना में चीन और पाकिस्तान की तरफ से मिलने वाली दोहरी सैन्य चुनौती से मुकाबले की भी तैयारी रखता है. उनका कहना था कि दुश्मन के पास मौजूद हथियारों और बदलते खतरों से मुकाबले के अनुसार ही रणनीति व मोर्चाबंदी की जाती है. इसके अलावा वायुसेना अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को भी लगातार अपडेट करती है ताकि मोर्चों पर तैनात होने वाले सैनिक नई तकनीक से लैस हों और ताजा खतरों से वाकिफ भी.
हालांकि चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना में लगातार घट रही लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन संख्या एक चुनौती है. इसका संतुलन साधने के लिए ही कोशिश हो रही है कि नए विमानों को लगातार शामिल किया जाता रहे. इस कड़ी में 83 एलसीए की खरीद के लिए अनुबंध हो चुका है. इसके अलावा 12 सुखोई30 और 21 अतिरिक्त मिग29 लड़ाकू विमान भी खरीद रहे हैं. इसके अलावा वायुसेना देश में ही बनने वाले एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट की खरीद को लेकर भी संकल्प जता चुकी है. अगले दशक की शुरुआत में इन विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल करने की शुरुआत हो जाएगा. चौधरी ने वायुसेना में लगातार स्वदेशी सैन्य उपकरणों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया.