वायुसेना प्रमुख का एलान- बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत का संदेश, आतंकी हमले नहीं होंगे सहन
रक्षा मंत्री के मुताबिक, बालाकोट एयर-स्ट्राइक ने दिखा दिया है कि एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के परे भी पाकिस्तान की धरती पर आतंकी-ढांचा और आतंकियों के ट्रेनिंग अड़्डे भी सुरक्षित नहीं रह सकेंगे.
नई दिल्लीः बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद साफ हो गया है कि भारत की धरती पर अब आतंकी हमलों को सहन नहीं किया जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो भारत की थल, वायु और नौसेना आतंकवाद के खिलाफ बड़ा प्रहार करने के लिए तैयार हैं. ये कहना है वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया का. बालाकोट एयर स्ट्राइक की पहली वर्षगांठ के अवसर पर शुक्रवार को वायुसेना प्रमुख राजधानी दिल्ली में एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
इस कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), जनरल बिपिन रावत और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह सहित तीनों सेनाओं के बड़े अधिकारी मौजूद थे. इस सेमिनार का थीम था, 'एयर-पावर इन नो पीस नो वार' यानि गैर-पारंपरिक युद्ध में वायुसेना का इस्तेमाल.
इस मौके पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के पास हथियार के तौर पर आतंकवाद नहीं बचा है, जो पाकिस्तान कभी भी भारत के खिलाफ विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करता था.
'आतंकियों के ट्रेनिंग अड़्डे सुरक्षित नहीं'
रक्षा मंत्री के मुताबिक, बालाकोट एयर-स्ट्राइक ने दिखा दिया है कि एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के परे भी पाकिस्तान की धरती पर आतंकी-ढांचा (इंफ्रस्ट्राकचर) और आतंकियों के ट्रेनिंग अड़्डे भी सुरक्षित नहीं रह सकेंगे.
आपको बता दें कि ठीक एक साल पहले यानि 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकाने जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर एयर-स्ट्राइक कर बड़ी तादाद में आतंकियों और उनके कमांडर्स को मारने का दावा किया था. भारत ने पाकिस्तान के खबैर-पख्तूनखवां प्रांत में इस आतंकी कैंप पर एयर स्ट्राइक पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए अंजाम दी थी.
दरअसल, 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमला हुआ था जिसमें 40 जवान मारे गए थे. इस हमले को पाकिस्तान की सरंक्षण में पल-बढ़ रहे आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने अंजाम दिया था.
बालाकोट एयर स्ट्राइक से ये धारणा बदली
राजनाथ सिंह के मुताबिक, एक लंबे समय तक दुनियाभर में भारत के बारे में धारणा थी कि वो आतंकवाद के खिलाफ कोई कारवाई नहीं करता है. लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक और फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक से ये धारणा बदल रही है.
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि आज आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए पूरी दुनिया एकजुट हो रही है। वैश्विक शांति के लिए पाकिस्तान जैसे देशों के खिलाफ हमें दुनिया के बड़े देशों का समर्थन हासिल हो रहा है.
उन्होने कहा कि पाकिस्तान पर 'कलक्टिव डिप्लोमेटिक-प्रेशर' का प्रभाव दिखाई पड़ रहा है. रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका ही नतीजा है कि आज पाकिस्तान में हाफिज सईद जैसे आतंकियों को अपने ही मुल्क में वीआईपी-दर्जा नहीं मिल पा रहा है और वो सलाखों के पीछे है.
'स्ट्रटेजिक तरीके से सोचने की जरूरत'
रक्षा मंत्री ने कहा कि बालाकोट ऑपरेशन हमें यह सिखाता है कि कैसे टेक्टिकल की बजाए हमें स्ट्रटेजिक तरीके से सोचने की जरूरत है. यह दर्शाता है कि हमारी ऑपरेशन्ल जीत जमीन पर हुई हो लेकिन असली युद्ध दुश्मन के मस्तिष्क में जीता जाता है:
लेकिन रक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि आतंक की लड़ाई के खिलाफ यह तबतक काफी नहीं है, जबतक पाकिस्तान को खुले रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता. ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान मक्कारी और कपट ('डुप्लेसिटी एंड डेसिट') की अपनी नीति जारी रखेगा. एयर चीफ मार्शल भदौरिया के मुताबिक, बालाकोट एयर-स्ट्राइक ने दिखा दिया कि सरकार पाकिस्तान की छाती (धरती) पर भी हमला करने जैसे सख्त निर्णय ले सकती है. उन्होनें कहा कि गैर-पारंपरिक युद्ध में बिना दुश्मन-देश के नागरिकों को नुकसान पहुंचाए और ना ही दुश्मन देश के सेना और सैन्य-ठिकानों पर हमला किए बगैर भी भारतीय वायुसेना ने अपने मिशन को अंजाम दिया.
वायुसेना प्रमुख के मुताबिक, ये सब इसलिए संभव हो पाया क्योंकि भारतीय वायुसेना ने अपने ऐसे लड़ाकू विमान और हथियारों (स्पाइस बम) का इस्तेमाल किया था जिससे 'कॉलेट्रल-डैमेज' ना हो पाए.
'ऑपरेशन स्विफ्ट-रिटोर्ट केवल दिखावा'
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सरकार, राजनैतिक-नेतृत्व और भारत की डिप्लोमेसी का ही नतीजा था कि दोनो देशों के बीच परिस्थितियों को डिएस्किलेट कर दिया गया. यहां तक की पाकिस्तानी वायुसेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के अगले दिन ऑपरेशन स्विफ्ट-रिटोर्ट के जरिए जो भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की थी वो भी सिर्फ अपनी जनता को दिखाने के लिए की थी उससे भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ था.
उन्होनें कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भारतीय वायुसेना के पास वियुंड विजयुल रेंज यानि बीवीआर मिसाइल नहीं थी लेकिन रफाल लड़ाकू विमानों के आने से वो कमी पूरी हो जाएगी. साथ ही स्वदेशी बीवीआर मिसाइल, अस्त्र भी तैयार है जिसे सुखोई और स्वदेशी लड़ाकू विमान, एलसीए तेजस में लगाया जाएगा. इसलिए बेहद जरूरी है कि दुश्मन के खिलाफ हमें तकनीकी तौर से श्रेष्ट होना बेहद जरूरी है.
Balakot Airstrike: जब भारतीय वायुवीरों ने उड़ाए पाक में मौजूद आतंकी कैंप, पढ़ें पूरी कहानी