'चीन और पाकिस्तान को देखें, हथियार-टेक्नोलॉजी हर जगह दोनों तेजी से...', हथियारों की कमी और टेक्नोलॉजी पर क्या बोले वायुसेना चीफ?
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा कि चीन और पाकिस्तान कॉम्बैट प्लेटफॉर्म, रडार और SAWG को तेजी से बढ़ा रहे हैं. कुछ दिन पहले चीन के नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी.
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने भारतीय हथियारों और तकनीक लेकर ऐसी बात कही है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. उन्होंने हथियारों को विकसित करने की सलाह देते हुए पाकिस्तान और चीन का उदाहरण दिया और कहा कि ये दोनों देश मिलकर अपने हथियारों को ही नहीं बल्कि तकनीक को भी बड़ी तेजी से विकसित कर रहे हैं, जबकि हमारे पास हथियारों की कमी है. चीन छठी पीढ़ी के हथियार विकसित कर रहा है.
दिल्ली में मंगलवार (8 जनवरी, 2025) को 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार 'आत्मनिर्भर इन एयरोस्पेश: वे अहेड' में उन्होंने ये बातें कही हैं. वायुसेना के एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने देश में फाइटर जेट की कमी पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'चीन छठी पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट तैयार कर रहा है. कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर उसकी फोटो भी वायरल हुई थीं. हमें अपने उत्तरी और पश्चिमी पड़ोसियों से चिंता है इसलिए हमें दूसरे रिसोर्सेज के बारे में सोचना चाहिए.'
वायुसेना प्रमुख लगातार देश की वायु शक्ति को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि हमें बात करने से ज्यादा साझा तौर पर काम करने की जरूरत है. हमें एक-दूसरे की मदद करनी होगी ताकि हम नई पीढ़ी के हथियार तैयार कर सकें और नई तकनीक को सही वक्त पर अपनी सेना को सौंप पाएं.
एयरफोर्स चीफ एपी सिंह ने कहा, 'हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर चिंताए हैं. वो दोनों ही अपनी ताकतों की बहुत तेजी से बढ़ा रहे हैं. चाहे वो कॉम्बेट प्लेटफॉर्म हो या कोई और सिस्टम हो. वो बहुत तेजी से रडार और SAGW को बढ़ा रहे हैं. जहां तक चीन का सवाल है तो वो सिर्फ संख्या नहीं तकनीक भी तेजी से बढ़ा रहा है. हमने अभी देखा कि कैसे नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी, जिसे उन्होंने स्टेल्थ फाइटर जेट के तौर पर उतारा है.'
वायुसेना प्रमुख ने आगे कहा, 'हमने अन्य वक्ताओं से भी सुना कि हमारे पास जो कमी है. खासकर भारतीय वायुसेना और भू राजनीतिक स्थिति ऐसी है, हालांकि वो हमेशा से ही ऐसा रही है, लेकिन हमने हाल के दिनों में फिर से ये सीखा है कि जब मुश्किलें आती हैं तो आपके दोस्त आपकी मदद नहीं करते हैं. इस दुनिया में खुद को जीवित रखने का एकमात्र तरीका है कि आप खुद ही खुद की मदद करें. हम वैसे भी ये सुनते आए हैं कि भगवान भी उन्हीं की मदद करता है, जो खुद की मदद करते हैं. मेरे ख्याल में हमें उसी बात पर वापस लौटना है जहां हम खुद की मदद करना शुरू करें.'
उन्होंने कहा कि हमें अपनी असफलताओं से सीखना चाहिए. नाकामियों से सीखते हुए अपनी कमजोरियों को पहचानना चाहिए और उन पर काम करना चाहिए. उनमें सुधार करके आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट अगर समय पर पूरा नहीं होता है तो ये अपनी प्रासंगिकता खो देता है. उन्होंने कहा कि समय बहुत अहम है और रिसर्चर्स को छूट देने की जरूरत है. बेशक नाकामियां होंगी, लेकिन असफलताओं से डरना नहीं चाहिए क्योंकि अगर समय पर आर एंड डी नहीं हुई तो ऐसी टेक्नोलॉजी का मतलब नहीं है.
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