नई दिल्ली: सीमा पर चीन से चल रहे टकराव के बीच भारतीय वायुसेना की ताकत में बड़ा इजाफा होने जा रहा है. फ्रांस से मिलने वाले 36 रफाल लड़ाकू विमानों की पहले खेप 27 जुलाई तक भारत पहुंच सकती है. पहली खेप में भारतीय वायुसेना को कम से कम छह (06) फाइटर जेट मिल सकते हैं. हालांकि, वायुसेना की तरफ से अभी तक रफाल के जंगी बेड़े में शामिल होने वाली औपचारिक समारोह ('सेरेमेनी') की तारीख की घोषणा नहीं की गई है.


माना जा रहा है कि अंबाला एयरबेस पर रफाल लड़ाकू विमानों की पूरी तैयारी कर ली गई है. क्योंकि पहली खेप दिल्ली के करीब हरियाणा के इसी बेस पर तैनात की जाएगी. रफाल फाइटर जेट्स की तैनाती के लिए अंबाला एयरबेस पर अलग से इंफ्रैस्ट्रक्चर तैयार किया गया है जिसमें हैंगर (विमानों के खड़े करने की जगह), एयर-स्ट्रीप और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम शामिल है. रफाल की पहली स्कॉवड्रन को 'गोल्डन ऐरो' का नाम दिया गया है.


भारतीय वायुसेना में रफाल का शामिल होना दक्षिण एशिया में 'गेमचेंजर' माना जा रहा है. क्योंकि रफाल 4.5 जेनरेशन मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है. मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टूइन) रफाल फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी यानि हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ डीप-पैनेट्रेशन यानि दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है.


जानकारी के मुताबिक, रफाल की मिसाइल-मिटयोर और स्कैल्प विमानों से पहले ही अंबाला पहुंच जाएंगी.
मिटयोर मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है. हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है. इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है.


शुरूआत में जो रफाल लड़ाकू विमान भारत पहुंचेंगे उनका एक स्टॉप-ओवर यूएई में होगा जहां वे फ्यूल रिफीलिंग के लिए रूकेंगे.


आपको बता दें कि इसी महीने की 2 तारीख को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस की अपनी समकक्ष फ्लोरेंस पारले से फोन पर बात कर रफाल की डिलीवरी तयशुदा समय पर करने के लिए कहा था, जिसके लिए वे तैयार हो गई थीं. हालांकि, पहली खेप को मई के महीने में ही भारत पहुंचना था लेकिन फ्रांस में फैली महामारी के चलते उसमें देरी हो गई थी.


गौरतलब है कि जब से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनातनी शुरू हुई है तब से भारतीय वायुसेना पूरी तरह अलर्ट है. वायुसेना के सभी फ्रंट लाइन एयरबेस पूरी तरह चौरस हैं और सुखोई, मिग-29 और मिराज2000 लड़ाकू विमान चीन सीमा से सटी एयर-स्पेस पर कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए मात्र आठ (08) मिनट में तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं. क्योंकि खबर है कि चीन ने भा भारत से सटे अपने सभी एयरबेस अलर्ट किए हुए हैं. इनमें ल्हासा, होटान, नगरी-गुंसा, निंगसी और शैनान प्रमुख तौर से शामिल हैं.‌ चीन ने अपने सुखोई, जे-8,10, 11 सहित जे-20 स्टील्थ विमानों को इन एयरबेस पर तैनात कर रखा है. अपुष्ट खबर ये भा है के भारत के साथ डॉग-फाइट के लिए चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले स्कार्दू एयरबेस का भी इस्तेमाल कर सकता है.


ऐसे में रफाल के वायुसेना में शामिल होने से भारतीय वायुसेना को चीन के खिलाफ बढ़त मिल जाएगी. रफाल लड़ाकू विमानों की दूसरी स्कॉवड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात की जाएगी--वायुसेना की एक स्कॉवड्रन में 18 फाइटर जेट्स होते हैं.‌