कमांडर्स कॉन्फ्रेंस: विदेशी नहीं स्वदेशी लड़ाकू विमानों से वायुसेना बढ़ाएगी अपनी ताकत
दिल्ली में वायुसेना के कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें स्वदेशी डिजाइन और विकास के नए अवसरों को तलाशना होगा.
नई दिल्ली: अभी तक पूरी तरह से विदेशी सैन्य साजो सामान पर निर्भर रहने वाली भारतीय वायुसेना को अब अपनी ताकत स्वदेशी फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर्स से बढ़ानी होगी. इसके लिए भारत खुद के फाइटर जेट और दूसरे मिलिट्री-हार्डवेयर बनाने में जुट गया है. ये कहना है रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का. सिंह आज राजधानी दिल्ली में वायुसेना के कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
राजनाथ सिंह ने कहा, "हमें स्वदेशी डिजाइन और विकास के नए अवसरों को तलाशना होगा और मैं इस संबंध में भारतीय वायुसेना के प्रयास की सराहना करता हूं." उन्होनें कहा कि, "मैं वायु सेना के कमांडरों से भविष्य की चुनौतियों के खिलाफ रणनीति विकसित करने और भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए सम्मेलन का उपयोग करने का आग्रह करता हूं."
साल में दो बार होने वाले इस कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया सहित सभी टॉप कमांडर्स मौजूद थे. इसके अलावा रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक, रक्षा सचिव अजय कुमार और रक्षा सचिव (उत्पादन) संजय चंद्रा भी मौजूद थे.
आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना हाल के समय तक विदेशी फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर और मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्टस पर ही अभी तक निर्भर रही है. फिर वो रशिया से लिए मिग और सुखोई विमान हो या फिर हाल ही में फ्रांस से खरीदे गए रफाल लड़ाकू विमान, जिन्हें वायुसेना में पारंपरिक तरीके से शामिल कराने के लिए खुद राजनाथ सिंह पिछले महीने फ्रांस गए थे.
यहां तक की जिन मिराज2000 फाइटर जेट्स से भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में बालाकोट एयर स्ट्राइक की थी, वे भी फ्रांसीसी थे. जगुआर फाइटर जेट (यूरोपीय), एमआई हेलीकॉप्टर्स (रूसी), सी17 और सी130जे ट्रांसपोर्ट विमान (अमेरिकी) सब आयात किए हुए हैं.
हाल ही में नए वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने ऐलान किया था कि भारत अब फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (एफजीएफए) के लिए किसी दूसरी देश के बजाए एचएएल और डीआरडीओ द्वारा तैयार किए जाने वाले एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एैमका) का इंतजार करेगा. क्योंकि रूस से मिलने वाले एफजीएफए विमान काफी मंहगे थे. इसीलिए भारत ने रूस से होने वाले इस सौदे को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
इसके अलावा भारत अब एचएएल द्वारा तैयार किए जाने वाले स्वदेशी लड़ाकू विमान, तेजस (लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) को ज्यादा से ज्यादा अपने जंगी बेड़े में शामिल करेगा. इसके अलावा फाइटर पायलट्स की ट्रैनिंग के लिए भी वायुसेना स्वदेशी ट्रैनर एयरक्राफ्ट, एचटीटी-400 पर निर्भर रहेगा. स्विटजरलैंड से लिए गए पिलेट्स ट्रैनर एयरक्राफ्ट्स को अब और नहीं लिया जायेगा.
कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा कि वायुसेना ने जितने भी नए लड़ाकू विमान (रफाल) इत्यादि शामिल किए हैं उनका भरपूर उपयोग किया जाए ताकि वायुसेना दुनियाभर में अपना लोहा मनवा सके.
रक्षामंत्री ने वायुसेना की तारीफ करते हुए कहा कि देश को जब जब जरूरत हुई है वायुसेना हमेशा देश की आन बान और शान के लिए हमेशा सबसे आगए रही है. उनका इशारा बालाकोट एयर स्ट्राक को लेकर था जब वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी अड्डे पर हमला किया था.
दो दिन (25-26 नवम्बर) तक चलने वाले इस कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी एंटी-ड्रोन ऑपरेशन्स से लेकर (थलसेना और नौसेना के साथ) ज्वाइंट मिशन और साइबर से लेकर इंफोर्मेशन वॉरफेयर पर चर्चा करेंगे.