नई दिल्ली: नेपाल के साथ नक्शों पर जारी मतभेद और रिश्तों में चल रहे सियासी तनाव के बीच भी भारत अपना पड़ोसी धर्म निभाने से नहीं चूक रहा है. इसका नमूना सिडनी से दिल्ली और अहमदाबाद के लिए सोमवार सुबह रवाना एयर इंडिया की फ्लाइट में नजर आया. जिसमें भारतीय नागरिकों के साथ तीन नेपाली नागरिक भी दिल्ली आ रहे हैं. इनमें बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए आ रहे अर्जुन और उनके परिवारजन शामिल हैं.


विदेश मंत्रालय अधिकारियों के मुताबिक नेपाल दूतावास के आग्रह पर अर्जुन तिमिलसीना उनके भाई बिशो( अर्जुन के बोन मेरो डोनर) और पिता मुक्ति प्रसाद तिमिलसिना को नई दिल्ली लाया जा रहा है. नेपाली नागरिक अर्जुन का नई दिल्ली के बीएल कपूर अस्पताल में बोन मेरो ट्रांसप्लांट होना है. भारत में इस उपचार के लिए उन्हें एयर इंडिया की AI-301 सिडनी-दिल्ली-अहमदाबाद फ्लाइट में जगह दी गई है.


आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस यात्रा से पहले तीनों नेपाली नागरिकों की कोरोना की जांच की गई. उन्हें कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट और फिट-टू-फ्लाय प्रमाणन के बाद ही उड़ान में जगह दी गई. दिल्ली के अस्पताल में इलाज के साथ ही तीनों नेपाली नागरिक क्वॉरन्टीन रहेंगे. इसके लिए अस्पताल ने भी मंजूरी दे दी है.


विदेशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी के लिए चल रहे वंदे भारत मिशन के तहत ऑस्ट्रेलिया के सिडनी से दिल्ली और अहमदाबाद के लिए आ रही फ्लाइट में 225 नागरिक लौट रहे हैं. हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारत ने कोरोना संकट के दौरान अपने नागरिकों लिए लिए चलाई जा रही विशेष उड़ानों में पड़ोसी देश के नागरिकों को भी जगह दी हो. वंदे भारत मिशन के तहत दो दिन पहले इंडोनेशिया से एयर इंडिया की उड़ान AI1039 में एक नेपाली छात्रा शेविका ढकाल को भी भारतीय नागरिकों के साथ लौटने की इजाजत दी थी.


शेविका भारत में ही पढ़ाई भी कर रहे हैं और लॉकडाउन से पहले स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रम में इंडोनेशिया गई थी. इसके अलावा फरवरी 2020 की शुरुआत में वुहान से अपने नागरिकों की निकासी के लिए चलाई गई उड़ानों में भी भारत ने बांग्लादेश, मालदीव समेत कई मुल्कों के नागरिकों को ना केवल सुरक्षित निकाला बल्कि क्वॉरन्टीन में रख अपने देश पहुंचाया.


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