एयर इंडिया ने बदला ताइवान का नाम, तिलमिलाए देश ने कहा- चीनी दाबाव के आगे झुका भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय इस बात पर फिलहाल मौन है कि एक चीन नीति पर मुहर लगाने वाली इस कार्रवाई के बाद क्या चीन भी 'एक भारत' का बराबरी से समर्थन करेगा.
नई दिल्ली: चीन के साथ रिश्ते सुधारने की कवायदों के बीच भारत की सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया ने अपने यात्रा नक्शों में अचानक ताइवान का नाम बदलकर चीनी ताइपे कर दिया. भारत के इस फैसले पर ताइवान ने तीखा ऐतराज जताते है हुए इसे चीनी दबाव के आगे झुकने की कार्रवाई करार दिया है. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एयर इंडिया के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानकों और 1949 से बरकरार भारत की नीतियों के अनुरूप है.
चीनी दाबाव के आगे झुका भारत- ताइवान भारतीय विदेश मंत्रालय इस बात पर फिलहाल मौन है कि एक चीन नीति पर मुहर लगाने वाली इस कार्रवाई के बाद क्या चीन भी 'एक भारत' का बराबरी से समर्थन करेगा. एयर इंडिया द्वारा हवाई यात्रा रूट के लिए अपनी वेबसाइट पर किए गए इस नाम परिवर्तन पर ताइवान की काफी तिलमिलाती प्रतिक्रिया आई है. ताइवान ने इसे चीन के गैरवाजिब मांग के आगे भारत के झुकने वाला कदम बताया.
चीनी दादागिरी का नमूना- ताइवान भारत में ताइवान आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के राजदूत चुंग क्वांग तेन ने बयान जारी कर एयर इंडिआ से नाम को पहले की तरह करने का आग्रह किया है. भारत में ताइवान सरकार के प्रतिनिधियों के मुताबिक इस संबंध में राजदूत चुंग ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से वाकिफ करवाया है. ताइवान ने इसे चीनी दादागिरी का नया नमूना भी करार दिया.
विदेश मंत्रालय के मशविरे के बाद उठाया गया कदम- एयर इंडिया एयर इंडिया का यह कदम पिछले 28 अप्रैल को विदेशी विमानन कंपनियों को लिखे उस खत के बाद आया है जिसमें उनसे ताइवान का नाम बदलकर चीनी ताइपे करने को कहा गया था. इसे चीन की सार्वभौमिकता से जुड़े मुद्दों पर शी चिनफिंग सरकार की गंभीरता के तौर पर भी देखा जा रहा है. एयर इंडिया के मुताबिक उसने यह फैसला विदेश मंत्रालय के मशविरे पर लिया है. आपको बता दें कि 27 अप्रैल को ही चीन के वुहान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपित शी चिनफिंग अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए मिले थे.
कश्मीर पर भारत-चीन में अब भी हैं मतभेद एक चीन की नीति को समर्थन देते हुए भारत ने तिब्बत स्वशासित क्षेत्र और ताइवान को चीन का हिस्सा माना है. मगर, 2010 में चीन ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को नत्थी वीजा देना शुरु करने के बाद भारत को झटका लगा था. वहीं भारतीय ऐतराज के बावजूद चीन ने पाकिस्तानी कब्जे वाले इलाके में चीन-पाक आर्थिक गलियारे की परियोजनाओं को आगे बढ़ाया. चीनी राष्ट्रपति की बेल्ट एंड रोड प्रयास की इन परियोजनाओं को लेकर आज भी भारत और चीन के बीच मतभेद हैं.
विदेश मंत्रालय करता है 'ताइवान' शब्द का इस्तेमाल एयर इंडिया ने जिस विदेश मंत्रालय के मशविरे पर ताइवान का नाम बदलकर चीनी ताइपे किया है, वो खुद इसी नाम का इस्तेमाल नहीं करता है. संसद में दिए वक्तव्यों से लेकर आधिकारिक बयानों में ज़्यादातर बार ताइवान शब्द का ही इस्तेमाल किया जाता है. आधिकारिक तौर पर भले ही भारत और ताइवान के बीच दो देशों जैसे रिश्ते न हों लेकिन दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे के यहां अपनी राजनयिक मौजूदगी बरकरार रखी है. विदेश मंत्रालय 1995 से भारत-ताइपे संघ के जरिए अपने एक विरष्ठ राजनयिक को ताईवान में तैनात किए हुए है.