Air Pollution: देश की राजधानी दिल्ली में सर्दियों की आहट के साथ ही यहां की आबो-हवा बिगड़ने लगती है. अक्टूबर की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है. दिल्ली से सटे नोएटा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में वायु प्रदूष का स्तर बेहद खराब स्थिति 'रेड जोन' में पहुंच गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के समीर ऐप के मुताबिक, शनिवार को ग्रेटर नोएडा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 337 दर्ज किया गया, जो कि बेहर खराब की श्रेणी में आता है. वहीं, गाजियाबाद में शनिवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 324 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा में एक्यूआई 283 रहा. वहीं, बल्लभगढ़ में एयर क्वालिटी इंडेक्स 245 दर्ज किया गया. फरीदाबाद में एक्यूआई का ये पैमाना 243 रहा, जबकि गुरुग्राम में 293 दर्ज किया गया.


बता दें कि एयर क्वालिटी इंडेक्स में हवाओं के प्रदूषण का स्तर इस प्रकार से मापा जाता है. अगर शून्य से 50 के बीच एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स हो तो यह 'अच्छा' श्रेणी में आता है. वहीं, एक्यूआई 51 से 100 के बीच हो तो ये 'संतोषजनक' है. इसके अलावा 101 से 200 के बीच एक्यूआई 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है. 


बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, गाड़ियों से निकलने वाला काला धुआं, निर्माण कार्यों के कारण उड़ने वाले पीएम कणों, सड़कों पर फैली धूल, उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन और पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य कारक हैं.


बता दें कि हर साल पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. दिल्ली में हवा की खराब गुणवत्ता के लिए पराली जलाने को सबसे बड़ा कारक बताया जाता है. हालांकि, इस साल पराली जलाने के बजाए घोल से नष्ट किया जाएगा. दिल्ली सरकार ने पूसा के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ऐसी दवाई तैयार की है, जो 15 दिन में पराली को खाद में बदल देगी. 


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