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DEPTH: बहाने मत बनाइए, इन देशों से सीखिए कैसे खत्म करते हैं प्रदूषण?
प्रदूषण खत्म करने के लिए हमें आसमान की तरफ देखकर बारिश का इंतजार करने की जरूरत नहीं है.
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए केजरीवाल सरकार ने ऑड-ईवन योजना का एलान किया था, लेकिन आज महिला सुरक्षा का बहाना बनाकर उन्होंने यू-टर्न ले लिया. आज एनजीटी ने कहा था कि इस योजना में बाइक और महिलाओं को भी छूट नहीं मिलनी चाहिए, इसलिए दिल्ली सरकार ने इस योजना को ही वापस ले लिया.
शुद्ध हवा के लिए लोगों को रहना होगा मशीनों पर निर्भर
दरअसल प्रदूषण जैसी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए ऑड-ईवन का राग अलापने से कुछ नहीं होने वाला बल्कि प्रदूषण कम करने के लिए सरकार को ही बड़े कदम उठाने पड़ेंगे. अगर हालात नहीं सुधरे तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदूषण से निजात पाने के लिए और शुद्ध हवा के लिए आने वाले समय में लोगों को मशीनों पर निर्भर रहना पड़ेगा.
साल 2015 में दुनिया में प्रदूषण से 25 लाख लोगों की मौत
दुनिया की प्रतिष्ठित मेडकिल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट कहती है, ‘’साल 2015 में दुनिया में प्रदूषण से 25 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, सिर्फ एयर पॉल्यूशन से ही 18 लाख मौतें हुई हैं. इतना ही नहीं प्रदूषण की वजह से आर्थिक नुकसान भी होता है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि 2013 में भारत की जीडीपी का 8.5 फीसदी यानी करीब 36 लाख करोड़ रुपये का नुकसान प्रदूषण की वजह से हुआ इस भीषण खतरे से बचने के लिए हमारी सरकारें प्रतिव्यक्ति सिर्फ 21रुपए खर्च करती हैं.
दुनिया प्रदूषण के लिए क्या कुछ कर रही है?
मेक्सिको में क्या किया गया?
प्रदूषण कम करने के लिए मेक्सिको सिटी में एक अस्पताल की इमारत पर स्पेशल मैटिरियल लगाया गया है. इसकी वजह से जब इस पर सूरज की रौशनी पड़ती है तो ये प्रदूषण को कम करने लगती है. इमारत बनाने वालों का दावा है कि ये इमारत रोज एक हजार कार से होने वाले प्रदूषण को कम करती है.
कैसे कम होता है प्रदूषण?
दरअसल, इमारत पर लगाए जाने वाले मैटेरियल के साथ टिटेनियम डाइ ऑक्साइड मिलाने पर एक खास पिगमेंट बनता है. जिसे टाइल्स पर लगाया जाता है. जब ये टाइल्स प्रदूषण के संपर्क में आती हैं तो प्रदूषण पानी या फिर कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल जाता है.
आपको बता दें कि 25 साल पहले यूएन ने मैक्सिको को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया था, लेकिन आज शहर की हालत बदल चुकी है.
चीन में बिल्डिंग पर लगाए गए तीन हजार पेड़
चीन में एक बिल्डिंग पर 132 तरह के तीन हजार पेड़ लगाए गए हैं. एशिया की ये पहली बिल्डिंग हैस जिसपर इतने पेड़ लगाए गए है. दावा किया गया है कि ये पेड़ 60 किलो कार्बन डाई ऑक्साइड को रोज ऑक्सीजन में बदल देते हैं. ये बिल्डिंग इटली के डिजाइनर ने बनाई है जो 2018 में बनकर तैयार होगी. इसी तरह की इमारत स्विटजरलैंड में भी बनी हैं.
प्रदूषण घटाने के लिए पेड़ की जरुरत क्यों?
दरअसल 41 हजार 842 किलोमीटर कार चलाने पर जितना कार्बन डाईऑक्साइड निकलेगा, उसे एक एकड़ पेड़ खींच लेता है. एक एकड़ पेड़ 18 लोगों को सालभर ऑक्सीजन देता है. इसतरह से प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ों का सहारा लिया जाता है.
चीन में स्मॉग से गहने बनाने वाला टावर
बीजिंग में सात मीटर लंबा एक टावर धातु की परत से लिपटा है. ये प्रदूषित हवा को फिल्टर करता है और टावर के पास की हवा शहर की हवा से 75 फीसदी ज्यादा साफ हो जाती है. डच डिजाइनर डान रुजगार्डे को इस बिल्डिंग को बनाने का आइडिया तीन साल पहले आया था, जब अपने घर की खिड़की से उन्होंने शहर को स्मॉग में घिरा देखा.
इस टावर में एयर प्यूरीफायर मशीन लगी हैं. खास बात ये है कि डच डिजाइनर डान रुजगार्डे ने प्रदूषण के कचरे से स्मॉग फ्री रिंग यानी गहने भी बना डाले हैं. डिजाइनर डान चाहते हैं कि धरती का हर इंसान साफ हवा में सांस ले.
लोगों को बेची जा रही है साफ हवा
चीन में बढ़ते प्रदूषण को देखकर एक कंपनी ने पहाड़ों की साफ हवा को लोगों को बेचनी शुरु कर दी. एक कारोबारी ने फ्रेश एयर की केन निकाल दी ताकि लोग साफ हवा को सूंघ सके.
इस तरह की जानकारी देने का मकसद लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है. ये रिपोर्ट पढ़कर आप भी जान गए होंगे कि प्रदूषण खत्म करने के लिए हमें आसमान की तरफ देखकर बारिश का इंतजार करने की जरूरत नहीं है.
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प्रफुल्ल सारडा, राजनीतिक विश्लेषकPolitical analyst
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