कोरोना काल में और घातक साबित होगा वायु प्रदूषण, फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोग बरतें खास एहतियात
कोरोना इंफेक्शन शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम करता है तो वहीं प्रदूषण की वजह से भी सांस लेने में दिक्कत आती है.
![कोरोना काल में और घातक साबित होगा वायु प्रदूषण, फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोग बरतें खास एहतियात Air pollution will prove to be more deadly in the corona period, patients taking lung problems should take special precautions ann कोरोना काल में और घातक साबित होगा वायु प्रदूषण, फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोग बरतें खास एहतियात](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/10/09234815/pppppp.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: पूरी दुनिया जहां इस वक़्त कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है तो वहीं एक और खतरा लोगों की सेहत पर मंडरा रहा है और वह है वायु प्रदूषण का खतरा. हर साल वायु प्रदूषण एक बड़ा खतरा स्वास्थ के लिए साबित होता है और इस बार तो कोरोना और प्रदूषण की सेहत पर एक दोहरी मार सी दिख रही है. प्रदूषण का सीधा असर ह्रदय, फेफड़े और शरीर के अन्य अंगों पर करता है.
कोरोना और प्रदूषण की दोहरी मार में लोगों को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है. खास करके उन लोगों को जिनको फेफड़ों की बीमारी है या सांस लेने में तकलीफ रहती है क्योंकि कोरोना इंफेक्शन शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम करता है तो वहीं प्रदूषण की वजह से भी सांस लेने में दिक्कत आती है.
हमने इसी विषय पर दिल्ली की रहने वाली प्रीति सिन्हा से बात की, वह तकरीबन 20 साल से अस्थमा की पेशेंट हैं. उनका 16 साल का बेटा ध्रुव भी इसी बीमारी से जूझ रहा है. कोरोना को देखते हुए यह परिवार एहतियात कर रहा है लेकिन अब वायु प्रदूषण और दिल्ली की एयर क्वालिटी खराब होती देखकर प्रीति फिक्रमंद है.
प्रीति द्वारका के एक निजी स्कूल में काउंसलर है और तकरीबन 7 महीनों से वर्क फ्रॉम होम ही कर रही है. कोरोना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल भी रख रही है जिस वजह से उन्होंने अपने घर सब का आना जाना पूरी तरह से बंद कर रखा है. वह बाहर भी अगर बहुत आवश्यक होता है तभी निकल रही हैं.
इवनिंग वॉक के लिए प्रीति घर के पास ही पार्क में जाती हैं और उसी पार्क में उन्होंने हमसे बात भी की. प्रीति को इतनी सीरियस अस्थमा की परेशानी है कि हर वक्त अपने साथ इनहेलर और दवाएं रखती हैं.
प्रीति सिन्हा का इस बारे में कहना है, "अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर के महीनों में हम जैसे लोगों को चेंज ऑफ वेदर की वजह से अटैक बहुत ज्यादा आते हैं. खासी भी बहुत तेज होती है. इस टाइम पर हर साल दिल्ली में पॉल्यूशन बहुत ज्यादा होता है. 2 साल पहले मुझे बहुत ज्यादा अस्थमा अटैक हुए थे कि मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा था. इस साल मुझे घबराहट बहुत ज़्यादा है क्योंकि इस बार पॉल्युशन के साथ-साथ कोरोना भी है. मैं खुश थी के इस बार पॉल्युशन लेवल कम है लेकिन अब धीरे-धीरे इंफेक्शन बढ़ रहा है. तो मैं घर में ही प्रेकौशन ले रही हूं.”
प्रीति सिन्हा ने कहा, “डॉक्टर से ऑनलाइन कंसल्टेशन कर रही हूं, बाहर निकलती हूं तो मास्क को पूरे अच्छे से कवर करती हूं और सैनिटाइजर हमेशा अपने साथ रखती हूं. इतने वक्त में घर से बिल्कुल नहीं निकली हूं. पॉल्युशन आते ही अपने मॉर्निंग और इवनिंग वॉक का टाइम भी चेंज कर लेती हूं. शाम को जब पार्क में आती हूं तो कुछ एक्सरसाइज भी करती हूं."
प्रीति सिन्हा के बेटे ध्रुव भी पार्क में अपनी मम्मी के साथ आते हैं और शाम को पार्क में कुछ देर एक्सरसाइज और आउटडोर गेम्स खेलते हैं. ध्रुव भी बचपन से अस्थमा के पेशेंट है.
आने वाले वक्त में कोरोना और प्रदूषण का क्या असर होगा और खास करके उन लोगों पर जिनको फेफड़ों की बीमारी है. इस विषय पर हमने आकाश हेल्थ केयर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर अक्षय बुद्धिराजा से बात की. उनका कहना है, " प्रदूषण के वक़्त रेस्पिरेट्री डिजीज बढ़ जाते हैं और सिर्फ रेस्पिरेट्री डिजीज़ ही नहीं हार्ट डिजीज़ भी बढ़ जाते हैं. यह देखा गया है कि जहां एयर पॉल्यूशन ज्यादा होता है तो रेस्पिरेट्री बीमारियां ज्यादा गंभीर होती हैं. जहां एयर क्वालिटी खराब है वहां कोविड-19 की गंभीरता भी ज्यादा है. अस्थमा जैसी चीजें प्रदूषण में ज़्यादा देखी गई है. यह देखा गया है जिनको पहले से ही कोई बीमारी है जैसे अस्थाम या सांस लेने में परेशानी या कोई भी बीमारी है, उनको अगर कोविड-19 होता है तो उनकी कंडीशन ज्यादा सीवियर होती है. उनको प्रेकॉशंस लेकर पहले से ही अपनी बीमारी को कंट्रोल करके रखना होगा. अस्थमा पेशेंट है तो इनहेलर लेते रहना जरूरी है ऐसा ना हो कि अगर वह ठीक फील कर रहे हैं तो इनहेलर लेना बंद कर दें."
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