राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. वहीं, दिवाली रात में इसके ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका है. शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह नौ बजे 330 दर्ज किया गया. गुरुवार को 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 314 रहा था.




पड़ोसी शहरों में भी दिख रहा असर 




राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले दिल्ली के पड़ोसी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 327, गाजियाबाद में 360, नोएडा में 331, ग्रेटर नोएडा में 329, गुड़गांव में 328 दर्ज किया गया. ये सूचकांक ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आते हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि दिन में वायु गुणवत्ता में आंशिक गिरावट होने की आशंका है. आईएमडी ने बताया कि ताजा पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हवा की गति बढ़ने की संभावना है और इससे दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा जा सकता है.




जानिए एक्सपर्ट्स का क्या है कहना 




आईएमडी के क्षेत्रीय पुर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव की वजह से रविवार को हल्की बारिश भी होने की संभावना है. हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि यह प्रदूषकों के धुलकर बैठ जाने के लिए पर्याप्त है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हवा की गति बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है. रविवार को हवा की अधिकतम गति 12 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है.’’


आईएमडी के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि हवा की गति शांत रहने और पटाखों से निकले धुएं की वजह से दिवाली की रात में वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाने की आशंका है. उन्होंने बताया कि हालांकि इसके बाद हवा की गति में तेजी आने और इसकी दिशा बदलकर पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर होने का अनुमान है और इससे 16 नवंबर तक वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया जा सकता है.


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर’ ने कहा कि दिवाली पर यदि पटाखे नहीं फोड़े जाते हैं तो दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर पिछले चार सालों में सबसे कम रहने की संभावना है. सफर ने कहा कि दिवाली के दौरान पटाखों से उत्सर्जन नहीं होने के कारण प्रदूषण स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी की ऊपरी सीमा पर रहने की आशंका है. सफर का कहना है कि पराली जलाने की वजह से एक्यूआई पर असर के तौर पर उसमें अगले दो दिनों में ‘मामूली से मध्यम’ वृद्धि हो सकती है. उसने कहा कि आग जलाने से संबंधित उत्सर्जन से 15 नवंबर को तड़के पीएम 2.5 में वृद्धि हो सकती है.
















सीपीसीबी ने पत्थर तोड़ने वाली मशीनों पर लगाया प्रतिबंध
















सीपीसीबी ने बुधवार को हॉट मिक्स संयंत्रों और पत्थर तोड़ने का काम करने वाली मशीनों (स्टोन क्रशर) पर 17 नवंबर तक प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि त्योहारी मौसम की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ने की आशंका है. उसने पंजाब और हरियाणा सरकार से भी पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है. उसने दिल्ली-एनसीआर में प्रशासन को जैव ईंधनों के जलने पर निगरानी रखने को कहा है.


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