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दिल्ली में हवा कल से बेहतर लेकिन प्रदूषण लेवल अब भी खतरनाक स्तर पर, 11 नवबंर तक ट्रकों की एंट्री पर बैन

Air Pollution: दिल्ली में हवा कल से बेहतर है लेकिन प्रदूषण लेवल अब भी खतरनाक स्तर पर बना हुआ है. जहरीली हवा में ज्यादा देर तक रहने से स्वस्थ लोगों को भी सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं.

नई दिल्ली: दीवाली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके पटाखे चलाए जाने के बाद राजधानी दिल्ली की हवा और अधिक जहरीली हो गयी है. कल से लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि आज हवा में कुछ सुधार हुआ है.

दीवाली के बाद दिल्ली का प्रदूषण स्तर पिछले साल की तुलना में करीब दो गुना रहा. गुरुवार को को एक्यूआई 642 के आंकड़े पर दर्ज किया गया जबकि साल 2017 में (दीवाली के अगले दिन) एक्यूआई 367 पर जबकि 2016 में 425 पर दर्ज किया गया था.

आज की बात करें तो एक्यूआई आरके पुरम में 368, आनंद विहार में 995, पंजाबी बाग में 496, मंदिर मार्ग पर 474, शहादरा में 635, द्वारका में 401, सोनिया विहार में 370, वजीरपुर में 541 और फरीदाबाद में 406 रहा.

स्वास्थ्य पर असर वायु गुणवत्ता के इस श्रेणी में पहुंचने का मतलब यह है कि इस जहरीली हवा में ज्यादा देर तक रहने से स्वस्थ लोगों को भी सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. यह हवा बीमार व्यक्तियों को और भी प्रभावित करेगी.

शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 और 100 के बीच इसे ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’ माना जाता है, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘काफी खराब’ और 401 और 500 के बीच इसे ‘अत्यंत गंभीर’ माना जाता है.

दिल्ली में हवा कल से बेहतर लेकिन प्रदूषण लेवल अब भी खतरनाक स्तर पर, 11 नवबंर तक ट्रकों की एंट्री पर बैन

दीवाली के बाद पहली सुबह में देश के कई भागों में जहरीली धुंध छाई रही और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तथा एनसीआर में प्रदूषण ‘‘गंभीर ’’ स्तर को पार कर ‘‘बेहद गंभीर और ‘‘आपात ’’स्तर तक पहुंच गया.

अधिकारियों ने कहा कि पटाखों, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और मौसम की स्थानीय स्थितियों के जहरीले मिश्रण के कारण राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर ‘‘अत्यंत गंभीर और आपातकालीन’’ (सीवियर प्लस एमरजेंसी) श्रेणी में प्रवेश कर गया जो अनुमति की सीमा से दस गुना अधिक है.

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में ‘‘पर्यावरण अनुकूल’’ पटाखों की बिक्री और निर्माण की अनुमति दी थी और आतिशबाजी के लिए दो घंटे का समय तय किया था. हालांकि आदेश का उल्लंघन करते हुए लोगों ने रात आठ से दस बजे तक की समयसीमा के दो घंटे बाद मध्यरात्रि तक पटाखे चलाए.

केंद्र द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक, पटाखों से पैदा हुए धुएं सहित अन्य कारणों से दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 642 तक पहुंचा जो ‘‘अत्यंत गंभीर और आपातकालीन’’ श्रेणी में आता है.

‘सफर’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता अगले दो दिन ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने का अनुमान है क्योंकि पटाखों से निकले धुएं ने प्रदूषकों के छितराने की प्रक्रिया धीमी कर दी है.

ट्रकों पर प्रतिबंध दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने गुरुवार को रात 11 बजे से 11 नवंबर को रात 11 बजे तक शहर में भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार ने कहा कि वह स्थिति पर गौर कर रहा है और अगर प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो आपातकालीन उपाय किये जाएंगे. इन उपायों में निजी वाहनों के लिए ‘सम-विषम’ योजना शामिल है.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और राज्य के अन्य शहरों में मध्यरात्रि के बाद भी पटाखे चलते रहे जिससे एक्यूआई आंकड़ा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा. बड़ी मात्रा में पटाखे चलाए जाने के कारण लखनऊ और इसके आस पास के जिलों में धुएं की मोटी चादर छायी रही. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के कई भागों में भी स्थिति लगभग ऐसी ही रही और एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा. राजस्थान राज्य की स्थिति भी लगभग ऐसी ही रही. राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, जयपुर में पीएम 2.5 और पीएम 10 मानक क्रमश: 330 और 205 रहे. मुंबई में भी इस साल दिवाली पर ध्वनि प्रदूषण का स्तर बहुत ऊंचा रहा.

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