सफर के मुताबिक यह अध्ययन मौसम की मौजूदा कंडीशंस को देखकर लिया गया है. जिसमें नीचे से ऊपर की ओर बहती हवा के प्रवाह को भी ध्यान में रखा गया है. इस स्थिति में पराली जलाने से हुई प्रदूषित हवा दिल्ली में बड़े पैमाने पर नहीं आ पाती है.
अनुमान के अनुसार अगर पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी कम भी पटाखे छोड़े जाते हैं तब भी हवा की गुणवत्ता सूची (एक्यूआई) 'काफी खराब' बनी रहेगी लेकिन अगर पिछले साल जितने ही पटाखे छोड़े गए तो हवा की हालत गंभीर स्थिति में पहुंच सकती है.