(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एयरसेल मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने कार्ति चिदंबरम से 10 घंटे की पूछताछ
कार्ति ने इससे पहले ईडी द्वारा जारी सम्मन को अदालत में चुनौती दी थी. वह आज सुबह लगभग 10.45 बजे निदेशालय के मुख्यालय पहुंचे और रात नौ बजे के बाद ही वहां से गए.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से मंगलवार को एयरसेल मैक्सिस से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगभग 10 घंटे पूछताछ की. अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में ईडी ने पहली बार कार्ति से पूछताछ की है. यह मामला 2006 में उनके पिता द्वारा दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी से जुड़ा है.
कार्ति ने इससे पहले ईडी द्वारा जारी सम्मन को अदालत में चुनौती दी थी. वह आज सुबह लगभग 10.45 बजे निदेशालय के मुख्यालय पहुंचे और रात नौ बजे के बाद ही वहां से गए. मामले के जांच अधिकारी ने कार्ति चिदंबरम का बयान दर्ज किया. अधिकारियों का कहना है कार्ति चिदंबरम से फिर पूछताछ की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च को सीबीआई और ईडी से कहा था कि वे 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े मामलों में जांच छह महीने में पूरी कर लें. अधिकारियों का दावा किया कि ईडी को संदेह है कि एफआईपीबी की मंजूरी के बाद एयरसेल टेलीवेंचर्स लिमिटेड ने एएससीपीएल को कथित तौर पर 26 लाख रुपये का भुगतान किया. यह कंपनी कथित तौर पर कार्ति चिदंबरम से जुड़ी हुई है.
एजेंसी ने कहा कि एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में एफआईपीबी की मंजूरी चिदंबरम ने मार्च 2006 में दी थी जबकि वह केवल 600 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अधिकृत थे. इससे ज्यादा राशि की परियोजनाओं के लिए आर्थिक मामले की कैबिनेट समिति (सीसीईए) से मंजूरी की जरूरत होती है.
इसने आरोप लगाए , ‘‘ इस मामले में 80 करोड़ डॉलर (3500 करोड़ रुपये से अधिक ) के एफडीआई की मंजूरी मांगी गई. इसलिए सीसीईए मंजूरी देने के लिए अधिकृत था. लेकिन सीसीईए से मंजूरी नहीं ली गई.’’
एजेंसी ने कहा कि इसकी जांच से खुलासा हुआ कि एफडीआई का मामला गलत तरीके से 180 करोड़ रुपये के निवेश का दिखाया गया ताकि इसे सीसीईए के पास भेजे जाने की जरूरत नहीं पड़े और यह विस्तृत पड़ताल से बच जाए.’’