PM Modi to Commission INS Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) भारतीय नौसेना (Indian Navy) को सौंप दिया. यह भारत के समुद्री इतिहास में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा जहाज है. 'आईएनएस विक्रांत' रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर भारत का एक चमकता हुआ प्रकाशस्तंभ है. आईएनएस विक्रांत को भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके बनाया गया है. इसमें अत्याधुनिक ऑटोमेशन विशेषताएं हैं.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी जानकारी
इससे पहले, पीएम मोदी द्वारा आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे लेकर पोस्ट भी की गई है. जिसमें लिखा है, “2 सितंबर रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनने के भारत के प्रयासों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. पहला स्वदेशी डिजाइन किया गया और निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत चालू किया जाएगा. नए नेवल एनसाइन (निशान) का भी अनावरण किया जाएगा.”
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ, वाइस एडमिरल ने क्या कहा था
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ, वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने पहले कहा था, 'आईएनएस विक्रांत हिंद प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. आईएनएस विक्रांत नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा. मिग-29 जेट को पहले कुछ सालों तक युद्धपोत से संचालित किया जाएगा. आईएनएस विक्रांत का चालू होना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.'
विक्रांत के भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ, भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के उन चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वदेशी रूप से एक विमान वाहक डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है. चीन के पास भी भारत की तरह दो स्की जंप वाले विमानवाहक पोत ऑपरेशनल हैं. एक टाइप 003 क्लास का समुद्री परीक्षण से गुजर रहा है. चीन के तीसरे विमानवाहक पोत का नाम फुजियान है. इसमें अत्याधुनिक रडार हैं, जो 500 किलोमीटर की दूरी तक के क्षेत्र को स्कैन कर सकते हैं.
क्या है INS विक्रांत की खासियत
INS विक्रांत एयरक्राफ्ट करियर समुद्र के ऊपर तैरता एक एयरफोर्स स्टेशन है जहां से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन के जरिए दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूत किया जा सकता है. आईएनएस विक्रांत से 32 बराक-8 मिसाइलें दागी जा सकेंगी. 44,570 टन से अधिक वजनी, यह युद्धपोत 30 लड़ाकू जेट विमानों को समायोजित करने में सक्षम है और दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और निर्देशित बमों और रॉकेटों से परे जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस है. यह विभिन्न विमानों को संभालने के लिए आधुनिक लॉन्च और रिकवरी सिस्टम से भी लैस है जैसे मिग -29 के लिए लूना लैंडिंग सिस्टम और सी हैरियर के लिए डीएपीएस लैंडिंग सिस्टम.
आईएनएस विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे
INS विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे. फिलहाल विक्रांत पर मिग-29के ('ब्लैक पैंथर') फाइटर जेट तैनात होंगे और उसके बाद डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट होगा. क्योंकि टीईडीबीएफ के पूरी तरह से तैयार होने में कुछ साल लग सकते हैं इसलिए इस बीच में अमेरिका का एफ-18ए सुपर होरनेट या फिर फ्रांस का रफाल (एम) तैनात किया जा सकता है.
इन दोनों फाइटर जेट के ट्रायल शुरु हो चुके हैं और फाइनल रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा कि कौन सा लड़ाकू विमान तैनात किया जाएगा. इस साल नबम्बर के महीने से मिग-29के फाइटर जेट विक्रांत पर तैनात होने शुरु हो जाएंगे.
निर्मित करने में कितनी लागत आई
ये 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है. इसका डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है.
INS विक्रांत की कुल केबल बिछाने की लंबाई 2400 किमी है जो कोच्चि और दिल्ली के बीच की दूरी के बराबर है. विमानवाहक पोत के 2,300 डिब्बों में 1,700 नाविकों के लिए जगह है, साथ ही महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन भी हैं, और यह एक छोटे से शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा करने में सक्षम है. सेना के मुताबिक, विक्रांत की किचन में एक दिन में 4800 लोगों का खाना तैयार किया जा सकता है और एक दिन में 10 हजार रोटियां सेंकी जा सकती हैं.
INS विक्रांत की ताकत क्या है?
किसी भी विमान-वाहक युद्धपोत की ताकत उसपर तैनात किए जाने वाले लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर होते हैं. समंदर में एयरक्राफ्ट कैरियर एक फ्लोटिंग एयरफील्ड के तौर पर काम करता है. उसपर तैनात फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर कई सौ मील दूर तक समंदर की निगरानी और सुरक्षा करते हैं. दुश्मन का कोई युद्धपोत तो क्या पनडुब्बी तक भी उसके आसपास फटकने की हिमाकत नहीं करती है. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है, यानी एक बार में भारत से निकलकर ब्राजील तक पहुंच सकता है. इसपर तैनात फाइटर जेट्स भी एक-दो हजार मील की दूरी तय कर सकते हैं.
विक्रांत पर जो रोटरी विंग एयरक्राफ्ट्स होंगे, उनमें छह एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स होंगे, जो दुश्मन की पनडुब्बियों पर खास नजर रखेंगे. भारत ने हाल ही में अमेरिका से ऐसे 24 मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर यानी रोमियो हेलीकॉप्टर का सौदा किया है. इनमें से दो (02) रोमियो हेलीकॉप्टर भारत को मिल भी गए हैं. इसके अलावा दो टोही हेलीकॉप्टर और दो ही सर्च एंड रेस्कयू मिशन में इस्तेमाल किए जाने वाले होंगे.
IAC विक्रांत के चालू होने भारत की बढ़ेगी ताकत
IAC विक्रांत के चालू होने से भारत को पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर एक विमानवाहक पोत तैनात करने की अनुमति मिल जाएगी. यह क्षेत्र में भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति और क्षमताओं को भी बढ़ावा देगा.
ये भी पढ़ें