Russia Ukraine War: एक तरफ रुस-यूक्रेन युद्ध पिछले एक साल से चल रहा है तो दूसरी तरफ चीन, ताइवान पर आंखें गड़ाए हुए है. भारत के लिए भी चुनौतियां कम नहीं है. दो दुश्मनों से घिरे भारत को जल, थल और आकाश में अपनी घेराबंदी लगातार मजबूत करनी है.
भारत की समुद्री सीमा में सुरक्षा के लिए भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर है. चीन के पास भी दो एयरक्राफ्ट कैरियर है जबकि पाकिस्तान के पास एक भी नहीं है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत नौसेना में शामिल होने के बाद पहली बार मुंबई आया है.
'आईएनएस विक्रांत का नया वर्जन है ये एयरक्राफ्ट'
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. 1997 में आईएनएस विक्रांत सेवानिवृत्त हो गया था, उसके बाद नौसेना ने विक्रांत का नया वर्जन लॉन्च किया है जो पहले वाले विक्रांत से भी ज्यादा ताकतवर और आधुनिक है. यह आत्मनिर्भर भारत का सबसे बड़ा उदाहरण है.
आईएनएस विक्रांत का कुल वजन करीब 45 हजार टन है इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका हैंगर एरिया है जो कि 22 मीटर चौड़ा और 182 मीटर लंबा है. 14 डेक वाले इस जलपोत में करीब 22 एयरक्राफ्ट और नौसेना के हेलीकॉप्टर पार्क किए जा सकते हैं. इतना नहीं है इस हेंगर में फायर बैरियर जैसी आधुनिक तकनीक भी है जो आग लगने की स्थिति में हैंगर को दो हिस्सों में बांट देगी ताकि आग पूरे हैंगर में नहीं फैले.
'ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने भी किया दौरा'
भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानी ने भी गुरुवार को आईएनएस विक्रांत का जायजा लिया. उनको विमान पर ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने विक्रांत की खासियत को जाना और इसकी तारीफ की. भारत में ऐसा पहली बार हो रहा था जब किसी फॉरेन डेलिगेट ने भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर का दौरा किया हो.
क्यों अहम है आईएनएस विक्रांत?
इस एयरक्राफ्ट करियर पर मिग-29K और तेजस जैसे लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट को कठिन से कठिन परिस्थितियों में उतारने और टेक ऑफ करने का ट्रायल किया जा चुका है. एयरक्राफ्ट कैरियर पर 36 एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर को तैनात किया जा सकता है. एयरक्राफ्ट कैरियर पर कामोव हेलीकॉप्टर, चेतक हेलीकॉप्टर तैनात है. भविष्य में राफेल लड़ाकू विमान भी तैनात करने की योजना है.