एयरफोर्स का दावाः दो देशों के बीच होने वाले रक्षा सौदों में ना तो बैंक गारंटी, न करप्शन से जुड़े क्लॉज जरूरी
एयर वायस चीफ, एयर मार्शल अनिल खोसला ने कहा कि जब भी भारत किसी दूसरे देश के साथ इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट यानि सीधे करार करता है तो उसमें जरूरी नहीं है कि रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) से जुड़े करार हो.
नई दिल्लीः राफेल सौदे पर चल रहे घमासान के बीच एक बार फिर भारतीय वायुसेना ने दावा किया कि राफेल लड़ाकू विमान के भारत में आने से देश की ताकत काफी ज्यादा बढ़ जायेगी. साथ ही वायुसेना ने एक बार फिर साफ किया कि दो देशों के बीच होने वाले रक्षा सौदों में ना तो बैंक गारंटी होती है और ना ही करप्शन से जुड़ा कोई क्लॉज होता है.
शनिवार को पोखरण रेंज में होने वाली भारतीय वायुसेना की बड़ी एक्सरसाइज, वायुशक्ति से जुड़ी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एयर वायस चीफ, एयर मार्शल अनिल खोसला ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों के वायुसेना में शामिल होने से हमारी ऑपरेशनल क्षमता कई गुना बढ़ जायेगी.
इस दौरान उन्होंने बताया कि जब भी भारत किसी दूसरे देश के साथ इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट यानि सीधे करार करता है तो उसमें जरूरी नहीं है कि रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) से जुड़े करार हो. उन्होंने कहा कि हाल ही में रूस से जो एस400 मिसाइल का करार हुआ है उसमें भी ना तो सॉवरिन-गारंटी है और ना ही बैंक गारंटी. और ना ही इंटेग्रिटी-क्लॉज है (यानि करप्शन से जुड़ा). उन्होंने कहा अब तक जब भी रूस, अमेरिका या फिर फ्रांस से जो भी आईजीए करार हुए हैं उनमें इस तरह के कोई क्लॉज नहीं होते हैं.
आप को बता दें कि शनिवार को भारतीय वायुसेना की एक बड़ी एक्सरसाइज, वायुशक्ति होने जा रही है. इस युद्धभ्यास के जरिए भारतीय वायुसेना अपनी क्षमता का परीक्षण करने जा रही है. इस युद्धभ्यास में वायुसेना के 130 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर हिस्सा ले रहे हैं. पोखरण रेंज में होने इस एक्सरसाइज में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण मुख्य अतिथि होंगी. ये एक्सरसाइज ऐसे समय में हो रही है जब वायुसेना की फाइटर जेट्स की स्कॉवड्रन कम हो रही हैं (अब सिर्फ 31 रह गई हैं) और पहला राफेल लड़ाकू विमान इसी साल सितंबर के महीने में फ्रांस से आ रहा है.
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