नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान रद्द की गई विमान सेवाओं के लिए टिकट के पूरे पैसे लौटाए जाने की मांग का एयरलाइंस कंपनियों ने विरोध किया है. उन्होंने अपनी खराब आर्थिक हालत का हवाला देते हुए इन पैसों को क्रेडिट शेल में डालने को सही बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एयरलाइंस कंपनियों के साथ मिल कर मसले का हल निकालने के लिए कहा है.
28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर नोटिस जारी किया था. कोर्ट में दाखिल याचिका में बताया गया था कि सरकार ने एयरलाइंस कंपनियों को सिर्फ लॉकडाउन के बाद बुक किए गए टिकट के पूरे पैसे लौटाने का आदेश दिया है. यह पैसे भी सीधे नहीं लौटाए जा रहे हैं. उन्हें क्रेडिट शेल में डाल दिया जा रहा है.
प्रवासी लीगल सेल नाम की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका में बताया गया है कि DGCA की तरफ से 2008 में तय नियमों के मुताबिक यह यात्री पर निर्भर करता है कि वह अपने पैसे वापस लेना चाहता है या उसे क्रेडिट शेल में डलवाना चाहता है. विमान कंपनियां इस तरह से मनमानी नहीं कर सकतीं. लेकिन वह नियमों के खिलाफ ऐसा कर रही है और सरकार ने आंखें बंद कर रखी हैं.
आज कई एयरलाइंस कंपनियों ने याचिका में पक्ष बनाए जाने की मांग की. कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया. कंपनियों की तरफ से कहा गया कि लॉकडाउन से उन्हें हुए भारी नुकसान के मद्देनजर किराए के पैसों को कम से कम 2 साल तक क्रेडिट शेल में रखने की इजाज़त मिलनी चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी. इस बीच सरकार और एयरलाइंस मसले का हल निकालने के लिए चर्चा करेंगे.
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