नई दिल्ली:जवाहरलाल विश्विद्यालय में गुरुवार को अनुच्छेद 370 पर सेमीनार का आयोजन किया गया था. इस सेमिनार में JNU प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर से एक वरिष्ठ नेता जितेंद्र सिंह को शाम चार बजे विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया था. जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि तीन अक्टूबर को एक सार्वजनिक बैठक बुलाई थी जिसमे केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद 'कश्मीर में विकास , शांति और स्थिरता ' पर अपनी बात रखने के लिए पहुंचने वाले थे.
इस बहस का विरोध करने के लिए कथित तौर पर आईसा से जुड़े छात्रों ने नारेबाज़ी शुरू की और देखते ही देखते ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा)और एबीवीपी के छात्रों के बीच धक्कामुक्की शुरू हो गयी. सूत्रों के हवाले से कुछ छात्रों ने केंद्रीय मंत्री के संबोधन के दौरान नारेबाजी शुरू की जिसे शांत करने की कोशिश की गई लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एबीवीपी के छात्रों ने इस प्रदर्शन के खिलाफ प्रदर्शन किया तो स्थिति अनियंत्रित हो गई.
जेएनयू साल 2016 से कहीं ज़्यादा विवादों में रहा है. यहां कथित तौर पर 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' के सदस्यों ने देश के खिलाफ नारेबाजी की थी. 9 फरवरी 2016 को, कुछ जेएनयू छात्रों (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन या डीएसयू के पूर्व सदस्यों) ने अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया था. इस केस में दिल्ली पुलिस ने करीब 1200 पन्ने का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया है. इसमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद और इतिहास विषय के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्य का नाम भी शामिल है. लिहाज़ा 2016 को ध्यान में रखते हुए जेएनयू में होने वाली गतिविधियों पर पूरे देश की नज़र रहती है.
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