AIUDF Lok Sabha Election: 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) को चुनौती देने के लिए कई राजनीतिक दल एक साथ आने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि, इसी बीच असम की ऑल इंडिया यूनियाटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने अलग ही राह चुन ली है. एआईयूडीएफ ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने की घोषणा कर दी है. पार्टी असम की 14 लोकसभा सीटों में से कुछ पर अकेले चुनाव लड़ेगी. पार्टी की ओर से यह भी कहा गया कि "कांग्रेस अब एक विश्वसनीय पार्टी नहीं है."
'हम अकेले आम चुनाव की तैयारी कर रहे हैं'
एआईयूडीएफ विधायक और पार्टी महासचिव रफीकुल इस्लाम ने एएनआई को बताया कि पार्टी का अंतिम निर्णय होना बाकी है, लेकिन राज्य में 2024 के लोकसभा चुनाव में कम से कम सात से आठ सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के मंच पर चर्चा की गई है. रफीकुल इस्लाम ने कहा, "अब हम अकेले आम चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. इससे पहले, एक चुनाव को छोड़कर, हमने सभी चुनाव अकेले लड़े थे. हमने पिछला असम विधानसभा चुनाव कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के साथ हाथ मिलाकर लड़ा था."
उन्होंने कहा, "2006 से, हम अकेले चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 के आम चुनाव में हमने तीन सीटें जीतीं- करीमगंज, बारपेटा और धुबरी और 2019 के लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी सुप्रीमो बदरुद्दीन अजमल ने धुबरी सीट जीती." रफीकुल इस्लाम ने कहा कि इस बार हम कम से कम तीन सीटों पर जीत दर्ज करने की कोशिश कर रहे हैं और हमने पांच-छह और सीटों का लक्ष्य रखा है.
'कांग्रेस को अपना चरित्र बदलना चाहिए'
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी इन सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है और पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा. रफीकुल इस्लाम ने यह भी उल्लेख किया कि बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए पार्टियों के एकता के आह्वान के बावजूद, वे एकजुट नहीं हैं. उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस पार्टी असम में एआईयूडीएफ, पश्चिम बंगाल में ममता, दिल्ली में केजरीवाल और तेलंगाना में केसीआर के खिलाफ लड़ेगी तो बीजेपी को फायदा होगा. कांग्रेस को अपना चरित्र बदलना चाहिए. बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए कांग्रेस को त्याग देना चाहिए और विपक्षी दलों के साथ जाना चाहिए."
'कांग्रेस ने AIUDF को बार-बार धोखा दिया'
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए एआईयूडीएफ विधायक ने यह भी कहा कि असम कांग्रेस ने बार-बार एआईयूडीएफ को धोखा दिया है और इसलिए अब वे एक विश्वसनीय पार्टी नहीं है. विधायक ने कहा, "असम में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें केवल एआईयूडीएफ के कारण बढ़ीं. चुनाव के तुरंत बाद उसने एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन समाप्त कर दिया और यहां तक कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एआईयूडीएफ के कारण कांग्रेस को कलियाबोर और नगांव की दो सीटों से फायदा हुआ." उन्होंने कहा कि चूंकि कांग्रेस अब एक विश्वसनीय पार्टी नहीं है, इसलिए वह आगामी आम चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है.
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