नई दिल्ली: एनपीआर को एनआरसी के उद्देश्य से अपडेट करने की अनुमति के कांग्रेस के आरोपों के बीच बीजेपी ने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम और पूर्व गृह राज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के बयानों को सामने रखा तो, कांग्रेस पार्टी ने इसका जवाब देने के लिए पूर्व गृह राज्य मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन को मैदान में उतारा है.


अजय माकन ने दावा किया कि यूपीए सरकार के दौरान एनपीआर की प्रक्रिया की शुरुआत उन्होंने ही की थी मगर उस समय एनपीआर संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के मुताबिक यूजुअल रेजिडेंट्स यानी सामान्य नागरिकों के लिए ही किया जा रहा था. माकन ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कभी भी इसका इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं किया ना ही ऐसा कोई इरादा रखते थे. यही वजह थी कि अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में शुरु की गई नागरिकों को नया आई कार्ड देने की प्रक्रिया तक को यूपीए सरकार ने संबधित समिति के प्रस्ताव पर पूरी तरह से रोक दिया था.


माकन ने ये भी दावा किया कि जितेंद्र सिंह ने संसद को जानकारी दी थी वो केवल 2003 में कानून में हुए संशोधन की जानकारी थी, अगर सरकार चाहे तो इसका इस्तेमाल एनआरसी के लिए भी कर सकती है, मगर कांग्रेस सरकार ने ऐसा नहीं किया. यही नहीं माकन ने बीजेपी के आरोपों के जवाब में ये भी कहा कि पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के भी जिस बयान को दिखाया जा रहा है उसमें वो केवल आज नागरिकों की मारफत बात कर रहे हैं ना कि एनआरसी की किसी प्रक्रिया की.


कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन ने कहा कि मोदी सरकार ने 2019 के सितंबर महीने में जो एनपीआर के लिए प्री-टेस्ट कराया था, उसके फॉर्म में से लोगों के मोबाइल नंबर, ड्राइविंग लाईसेंस नंबर और आधार नंबर जैसी जानकारियां भी मांगी गईं थी. उन्होंने आगे कहा कि इस फॉर्म के माध्यम से नागरिकों से उनके माता-पिता के जन्मतिथि के साथ उनके जन्मस्थान की जानकारी भी मांगी गई. इससे ये साफ जाहिर होता है कि सरकार की मंशा एनपीआर के जरिए एनआरसी लागू करने की है वरना सरकार आधिकारिक तौर पर इस प्री-टेस्ट में इस्तेमाल फॉर्म को नकार क्यों नहीं देती.


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