JJCJ Party Crisis : छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों से बड़ी खबर सामने आ रही है. साल 2018 में राज्य की राजनीति में तीसरी ताकत बनकर उभरने वाली पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की ‘‘जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)’’ अंदरूनी कलह को खत्म नहीं कर पा रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पार्टी अब अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. बता दें कि साल 2018 में इस पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 5 सीटें जीतकर अजीत जोगी की पार्ट ने सभी को हैरान कर दिया था. हालांकि राज्य में परंपरागत रूप से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है.
अगले साल होने वाले हैं विधानसभा चुनाव
छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जेसीसी(जे) के प्रदेश अध्यक्ष और अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी का दावा है कि पार्टी इस बार पहले से अधिक मजबूत होकर उभरेगी. उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस के ‘‘कुशासन’’के खिलाफ पार्टी लगातार आवाज उठा रही है और उसके लिए राज्य में बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं. पूर्व विधायक अमित जोगी ने कहा कि ‘‘हमारी पार्टी आगे बढ़ रही है और यह पहले से कहीं अधिक मजबूत होकर उभरेगी. हम बूथ स्तर पर अपने संगठन को और मजबूत कर रहे हैं. आने वाले समय में हमारी ताकत सबको नजर आएगी. ’’
छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जेसीसी(जे) के प्रदेश अध्यक्ष और अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी का दावा है कि पार्टी इस बार पहले से अधिक मजबूत होकर उभरेगी. उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस के ‘‘कुशासन’’के खिलाफ पार्टी लगातार आवाज उठा रही है और उसके लिए राज्य में बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं. पूर्व विधायक अमित जोगी ने कहा कि ‘‘हमारी पार्टी आगे बढ़ रही है और यह पहले से कहीं अधिक मजबूत होकर उभरेगी. हम बूथ स्तर पर अपने संगठन को और मजबूत कर रहे हैं. आने वाले समय में हमारी ताकत सबको नजर आएगी. ’’
अजीत जोगी के निधन के बाद बिखर गई पार्टी
साल 2020 में अजीत जोगी के निधन के बाद ही पार्टी में अंदरूनी लड़ाई शुरू हो गई. दो विधायकों के मृत्यु के बाद पार्टी में केवल 3 रेणु जोगी, धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा ही विधायक बचे थे. हालांकि पिछले दिनों बीजेपी से सांठगांठ के आरोप में पार्टी ने धर्मजीत सिंह को निष्कासित कर दिया है.
साल 2020 में अजीत जोगी के निधन के बाद ही पार्टी में अंदरूनी लड़ाई शुरू हो गई. दो विधायकों के मृत्यु के बाद पार्टी में केवल 3 रेणु जोगी, धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा ही विधायक बचे थे. हालांकि पिछले दिनों बीजेपी से सांठगांठ के आरोप में पार्टी ने धर्मजीत सिंह को निष्कासित कर दिया है.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार
अजीत जोगी की पार्टी के इस हश्र को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार आर कृष्णा दास कहते हैं, ‘‘माना जा रहा है कि धर्मजीत सिंह और अन्य विधायक प्रमोद शर्मा जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी पार्टी बिखर गई है. उनकी पत्नी रेणु जोगी और पुत्र अमित जोगी पार्टी को एकजुट नहीं रख सके.’’ वहीं राजनीतिक टिप्पणीकार सुशील त्रिवेदी कहते हैं, ‘‘जोगी की पार्टी की हालत खराब हो चुकी है अब अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले इसे पुनर्गठित करना मुश्किल होगा.’’
साल 2016 में बनाई अपनी पार्टी
साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अपने अस्तित्व में आया था. उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता अजीत जोगी ने पहली बार 2003 राज्य सरकार की अगुवाई की थी. 2016 में अजीत जोगी कांग्रेस से अलग हो गए और जेसीसी (जे) का गठन किया. जोगी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन वह 7.6 प्रतिशत वोट ले कर पांच सीटें ही जीत पाए, उस चुनाव में बीजेपी को मात्र 15 सीटें मिलीं थी. राज्य में कांग्रेस पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 68 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद राज्य में उन्होंने सरकार भी बनाई थी.
साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अपने अस्तित्व में आया था. उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता अजीत जोगी ने पहली बार 2003 राज्य सरकार की अगुवाई की थी. 2016 में अजीत जोगी कांग्रेस से अलग हो गए और जेसीसी (जे) का गठन किया. जोगी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन वह 7.6 प्रतिशत वोट ले कर पांच सीटें ही जीत पाए, उस चुनाव में बीजेपी को मात्र 15 सीटें मिलीं थी. राज्य में कांग्रेस पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 68 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद राज्य में उन्होंने सरकार भी बनाई थी.
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