Karnataka-Maharashtra Border Dispute: कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद को लेकर बयानबाजी अब भी जारी है. महाराष्ट्र में विपक्ष इस मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है. एनसीपी नेता अजित पवार ने इस मुद्दे को लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बातचीत को सार्वजनिक करने की मांग की है. 


अजित पवार ने शनिवार (17 दिसंबर) को कहा, "सीमा विवाद मुद्दे पर कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बातचीत को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. अगर राज्य सरकार सीमा मुद्दों पर प्रस्ताव लाती है तो हम इसका समर्थन करेंगे."


महाराष्ट्र सरकार लाएगी प्रस्ताव


पवार ने कहा, "यह हमारी पुरानी मांग है कि बेलगावी, निपानी, करवार और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों को महाराष्ट्र के साथ जोड़ा जाना चाहिए." उधर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा रेखा से संबंधित एक प्रस्ताव राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित किया जाएगा."


अमित शाह के साथ हुई थी बैठक


दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का पुराना मुद्दा एक बार फिर जिंदा हो गया है. इस मुद्दे को लेकर दोनों ओर से बयानबाजी चल रही है. इसी को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 14 दिसंबर को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए थे. बैठक में शाह ने कहा था कि राजनीतिक विरोध जो भी हो, दोनों राज्यों के नेता इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाएं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.


"समाधान रोड पर नहीं हो सकता"


अमित शाह ने कहा था, "दोनों मुख्यमंत्रियों ने सकारात्मक अप्रोच रखा है. दोनों के बीच सहमति हुई है कि विवाद का समाधान रोड पर नहीं हो सकता है, संविधान के अनुसार हो सकता है. दोनों ओर से 3-3 मंत्री बैठेंगे. कुल 6 मंत्री बैठकर छोटे-छोटे मुद्दों पर बातचीत करेंगे. दोनों राज्यों के विपक्षी नेताओं से भी गृह मंत्री होने के नाते अपील करते हैं कि वे लोग इस बात का सहयोग करेंगे कि इस मुद्दे का वो राजनीतिक रंग न दें."


क्या है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद?


सीमा विवाद उस समय से है, जब राज्यों का गठन किया गया था. इस पूरे विवाद के केंद्र में बेलगाम यानी बेलगावी ज़िला केंद्र में है क्योंकि महाराष्ट्र दावा करता रहा है कि 1960 के दशक में राज्यों के भाषा-आधारित पुनर्गठन के समय ये मराठी-बहुल क्षेत्र कर्नाटक को गलत तरीके से दिया गया था. महाराष्ट्र ने दावा किया कि सीमा पर 865 गांवों को महाराष्ट्र में विलय कर दिया जाना चाहिए, जबकि कर्नाटक का दावा है कि 260 गांवों में कन्नड़ भाषी आबादी है. 


ये भी पढ़ें-आचार संहिता उल्लंघन के दो मुकदमों में राज्यमंत्री संजय गंगवार को सजा, अदालत में ही हिरासत में लिया गया, फिर हुआ ये...