उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा- बिजली संकट से निपटने के लिए कोयला आयात करेगी महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में मौजूदा बिजली कटौती संकट से निपटने के लिए सरकार ने कुछ हद तक देश के बाहर से कोयले का आयात करने का फैसला किया है.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में मौजूदा बिजली कटौती संकट से निपटने के लिए सरकार ने कुछ हद तक देश के बाहर से कोयले का आयात करने का फैसला किया है. उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में एक कोयला खदान महाराष्ट्र के बिजली विभाग को आवंटित करने का प्रयास किया जा रहा है. पवार ने यहां पत्रकारों से कहा कि देश में कोयले की आपूर्ति उस तरह नहीं हो रही है जैसी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'राज्य में बिजली की कटौती चल रही है. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा एक बैठक की गई थी. मैं हर हफ्ते बिजली कटौती के मुद्दे पर बिजली विभाग की समीक्षा करूंगा और कैबिनेट ने यह जांचने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है कि क्या देश में बिजली की कोई भी उपलब्धता की संभावना है.'
पवार ने कहा, 'कई राज्यों को कोयले की आपूर्ति अपर्याप्त हम महाराष्ट्र को भी पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल रही है और इसलिए हमने देश के बाहर से कुछ हद तक कोयले का आयात करने का निर्णय लिया है. ऊर्जा मंत्री नितिन राउत इस पर काम कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी छत्तीसगढ़ सरकार से महाराष्ट्र को एक कोयला खदान आवंटित करने को कहा है.
केंद्र महाराष्ट्र को कोयला उपलब्ध नहीं कराकर प्रतिशोध की राजनीति कर रहा
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा नीत केंद्र महाराष्ट्र को कोयला उपलब्ध नहीं कराकर प्रतिशोध की राजनीति कर रहा है, पवार ने कहा कि विभिन्न राज्यों को कोयले की आपूर्ति उस तरह नहीं हो रही है जिस तरह से की जानी चाहिए. उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'रेलवे डिब्बों के मुद्दे हैं. आज कोयले, चीनी, गेहूं और अन्य आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए रेलवे के अधिक डिब्बों की आवश्यकता है, जिन्हें बंदरगाहों तक ले जाने की आवश्यकता है. मैं इसमें कोई राजनीति नहीं लाना चाहता. मैं नहीं चाहता इस तरह के आरोप चाहिए, लेकिन यह एक सच्चाई है कि कोयले की कमी है.' पिछले हफ्ते, मंत्री नितिन राउत ने कहा था कि राज्य में बिजली की मांग में वृद्धि, कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील के कारण बिजली कटौती करनी पड़ी है और केंद्र को कोयले की आपूर्ति के खराब प्रबंधन के लिए दोषी ठहराया गया.
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