Ajit Pawar On Sharad Pawar: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार (7 जनवरी) को अपने चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर परोक्ष रूप से यह कहते हुए तंज कसा कि कुछ लोग 80 की उम्र पार करने के बाद भी रिटायर होने के लिए तैयार नहीं है.


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अजित पवार ने ठाणे में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे.  उन्होंने कहा, ''महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं. ज्यादातर लोग 75 वर्ष की आयु के होने के बाद अपने सक्रिय पेशेवर जीवन को आमतौर पर रोक देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोग (शरद पवार जैसे) भी हैं जो 80 वर्ष की आयु को पार करने के बाद और अब 84 वर्ष के होने पर भी सेवानिवृत्ति के लिए तैयार नहीं हैं.''


पिछले साल की थी चाचा से बगावत


अजित पवार अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ पिछले साल 2 जुलाई को एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे. 2019 के बाद से उन्होंने तीसरी बार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद उन्होंने एनसीपी के नाम और निशान (चुनाव चिन्ह) पर दावा ठोक दिया था. अजित पवार के इस कदम को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने चुनाव आयोग में चुनाव दी थी.


शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था, जिसके बाद कुछ दिनों बाद अजित पवार ने बगावत करते हुए महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने का कदम उठाया था. हालांकि बाद में प्रफुल्ल पटेल अजित पवार के गुट में शामिल हो गए थे.


हम यहां काम करने के लिए हैं- अजित पवार


अजित पवार ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ''हम यहां काम करने के लिए हैं और हम काम करेंगे.'' उन्होंने कहा कि वह उन लोगों की सेवा करने के लिए राज्य सरकार में शामिल हुए हैं, जिनकी समस्याओं और अन्य मुद्दों को पावर के बिना हल नहीं किया जा सकता है.


अजित पवार ने की पीएम मोदी का समर्थन करने की अपील


अजित पवार ने अपने गुट के एनसीपी कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट होने, जिले में पार्टी की ताकत दिखाने और तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का समर्थन करने की अपील की.


अजित पवार का यह बयान शरद पवार के उस बयान के कुछ दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनीतिक स्थिति बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं है. एएनआई ने एनसीपी प्रमुख के हवाले से कहा था, ''बीजेपी सत्ता में है. उन्होंने एक आक्रामक अभियान प्रणाली स्थापित की है. बीजेपी जर्मनी में हिटलर के प्रचार तंत्र की तरह काम कर रही है. बीजेपी नेताओं ने भले ही कुल 543 में से 400 से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा हो लेकिन राजनीतिक स्थिति बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं हैं.''


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