Rajya Sabha: अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार बनेगी राज्यसभा सांसद? जानें क्यों हो रही इस बात की चर्चा
Road To Rajya Sabha: बारामती की लोकसभा सीट का चुनाव सुनेत्रा पवार और सुप्रिया सुले के बीच हुआ था. बारामती पवार फैमिली का गढ़ रह चुका है. यहां शरद पवार ने सुप्रिया सुले को जिताकर अपनी ताकत दिखा दी है.
Ajit Pawar Wife Sunetra Pawar: अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की रिक्त राज्यसभा की सीट पर अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को मौका मिल सकता है. एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल अपने 2022 के राज्यसभा चुनाव से इस्तीफा देकर 2024 में फिर से राज्यसभा सांसद का पद स्वीकार किया था. इस वजह से एनसीपी की एक राज्यसभा सांसद की जगह खाली थी.
अब जो भी इस खाली सीट पर आएगा, उसे करीब चार साल सांसद बने रहने का मौका मिलेगा. प्रफुल्ल पटेल की पहली राज्यसभा का कार्यकाल 2022-2028 तक था. यानी अब सुनेत्रा पवार अगर राज्यसभा जाती हैं तो वह 2028 तक सांसद रहेगी.
प्रफुल्ल पटेल ने ऐसा क्यों किया था?
एनसीपी की पार्टी में इस बात को लेकर चर्चा छिड़ गई है कि पटेल का कार्यकाल खत्म होने से चार साल पहले उन्हें फिर प्रत्याशी बनाने का फैसला पार्टी की अंदरूनी कलह को दबाने के लिए लिया गया है. बताया जा रहा है कि अजित पवार के बेटे पार्थ पवार और हाल ही में कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल होने वाले वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी भी राज्यसभा की रेस में शामिल थे. अगर ऐसे समय में प्रफुल्ल पटेल का नाम आता है तो बाकी लोग शांत हो सकते हैं, लेकिन आज भी पार्थ पवार, छगन भुजबल और बाबा सिद्दीकी का नाम चर्चा में है.
एनसीपी की ताकत क्या है?
एनसीपी के महाराष्ट्र में 40 विधायक हैं. इसके अलावा 6 विधान परिषद् सदस्य महाराष्ट्र में हैं. 3 विधायक हाल ही में संपन्न हुए अरुणाचल प्रदेश के चुनाव में जीते हैं. लोकसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग अजित पवार के अगुवाई वाली एनसीपी के गुट को असली एनसीपी माना था. इसके बाद उन्हें पार्टी के सिंबल घड़ी का भी इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी. प्रफुल्ल पटेल राज्यसभा में इकलौते सांसद हैं और सुनील तटकरे लोकसभा के इस पार्टी से एकमेव सांसद हैं.
सुनेत्रा पवार का नाम क्यों?
बारामती की लोकसभा सीट का चुनाव सुनेत्रा पवार और सुप्रिया सुले के बीच हुआ था. बारामती पवार फैमिली का गढ़ रह चुका है. शरद पवार ने सुप्रिया सुले को जिताकर अपनी ताकत दिखा दी है. अब अजित पवार के लिए बारामती विधानसभा जीतना बहुत अहम होगा, क्योंकि तोड़फोड़ की राजनीति के बाद यह पहला विधानसभा का चुनाव होगा. इसलिए सुनेत्रा को केंद्र मे रखकर राज्य स्तर की सभी विकास की राजनीति कर सकते हैं. दूसरी बात यह है कि सुप्रिया सुले को आने वाले दिनों में टक्कर देने के लिए फिर एक बार सुनेत्रा को तैयार किया जा सकता है.
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