लखनऊ: यूपी में यात्रा की राजनीति शुरू हो गई है. नेताओं को याद आई है जनता की. जो लोकतंत्र में चुनाव के समय जनार्दन होते हैं. जो नेता अब जनता के द्वार पहुंचने के लिए यात्रा पर निकलने को तैयार हैं. मोदी सरकार के नए नवेले मंत्री 16 अगस्त से जन आशीर्वाद यात्रा पर निकलने की तैयारी में हैं. उनकी यात्रा के मुकाबले में अब अखिलेश यादव के केशव ने भी यात्रा निकालने का एलान कर दिया है. नाम दिया गया है जनाक्रोश यात्रा.
महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ये यात्रा 16 अगस्त से शुरू करेंगे. यूपी चुनाव के लिए अखिलेश यादव और महान दल का गठबंधन है. इसी गठबंधन की तीसरी पार्टी संजय चौहान की जनवादी पार्टी ने भी उसी दिन से जन क्रांति यात्रा निकालने का फैसला किया है. मतलब ये है कि यूपी की सड़कों पर अब रथ चला करेंगी. अलग अलग झंडों, डंडों और नारों के साथ. आख़िर चुनाव यूपी का है.
मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में यूपी से इस बार 7 नए चेहरों को जगह मिली है. बीजेपी ने चुनावी रणनीति के हिसाब से पिछड़ी और दलित जाति के नेताओं को इस बार मौका दिया. ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अजय मिश्र टेनी को मंत्री बनाया गया. वहीं दलित कोटे से एस पी सिंह बघेल, कौशल किशोर और भानु प्रताप सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिली.
पिछड़े वर्ग से ही एल वर्मा और पंकज चौधरी को मंत्री बनाया गया. अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल फिर से मंत्री बनीं. वे मोदी पार्टी वन में भी मंत्री थीं. 16 अगस्त से ये सभी मंत्री जन आशीर्वाद यात्रा पर निकालेंगे. सबको चार चार लोकसभा क्षेत्रों में दौरा करने को कहा गया है.
बीजेपी की इसी जन आशीर्वाद यात्रा की टक्कर में समाजवादी पार्टी ने भी दो अलग अलगा यात्राएं निकालने की तैयारी की है. दिलचस्प बात ये है कि ये दोनों यात्राएं सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी की नहीं हैं. बस अखिलेश यादव का समर्थन है.
जनाक्रोश यात्रा महान दल निकाल रही है. जिसके अध्यक्ष केशव देव मौर्य हैं. मौर्य की ये यात्रा बरेली से शुरू होकर बदॉयू, कासगंज और मैनपुरी होते हुए 27 अगस्त को इटावा में ख़त्म होगी. इटावा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का गृह ज़िला है. वहीं महान दल की यात्रा उन्हीं इलाक़ों से होकर गुजरेगी जहां उसका दबदबा है.
जनवादी पार्टी के संजय चौहान की जन क्रांति यात्रा 16 अगस्त को बलिया से शुरू होगी. फिर मऊ, सोनभद्र, मिर्ज़ापुर, भदोही, प्रयागराज और अंडेतरनदर होते हुए 31 अगस्त को अयोध्या में खत्म होगी. राम मंदिर वाला अयोध्या.
महान दल मौर्य बिरादरी की अगुवाई करता है, जबकि संजय चौहान की पार्टी नोनिया जाति की. दोनों ही पिछड़े वर्ग से हैं. अखिलेश यादव की कोशिश इस बार यादव के साथ अन्य पिछड़ों को जोड़ कर नया वोट बैंक बनाने की है. बीजेपी के गैर यादव पिछड़ों को एकजुट करने की मुहिम को इस बार समाजावादी पार्टी तोड़ने की जुगत में है. ये काम बड़ा मुश्किल है. बीजेपी लगातार दो लोकसभा चुनाव और 2017 का विधानसभा चुनाव शानदार तरीके से जीत चुकी है.