Akhilesh Yadav Iftar: पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार किसी न किसी इफ़्तार पार्टी में जा रहे हैं. लोगों से मिल रहे हैं. कभी वे बीजेपी सरकार पर हमला करते हैं तो कभी अपने चाचा शिवपाल यादव पर. लोगों को उम्मीद थी कि इस बार अखिलेश यादव खुद इफ़्तार की मेज़बानी करेंगे. लेकिन पार्टी के मुस्लिम नेता इंतज़ार ही करते रह गए.
पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता आज़म खान पिछले दो साल से जेल में बंद हैं. आज़म और उनके समर्थक अखिलेश यादव से नाराज बताए जाते हैं. उनके समर्थन में कुछ मुस्लिम नेता पार्टी और पद से इस्तीफ़ा भी दे चुके हैं. ये सिलसिला लगातार जारी है. पिछली बार अखिलेश ने इफ़्तार की दावत 2018 मे लखनऊ के होटल ताज में दी थी.
इफ्तार की मेजबानी से कतरा रहे अखिलेश
उत्तर प्रदेश में रमजान के दौरान सियासी इफ्तार की धूम रहती है. लगभग सभी राजनीतिक दल इफ्तार पार्टी आयोजित करते रहे हैं. इसके अलावा सभी पार्टियों के नेता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रोजा इफ्तार का आयोजन करते हैं. यूपी से सटे बिहार में भी सियासी इफ्तार का आयोजन हो रहा है, लेकिन यूपी में इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव इफ्तार की मेजबानी करने के कतरा रहे हैं.
विधानसभा चुनावों में सपा को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी में मुस्लिम नेताओं की नाराजगी को इसकी वजह बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इफ्तार का आयोजन करने से नाराज मुस्लिम नेताओं को एक साथ मिलने बैठने का मौका मिलेगा तो अखिलेश यादव के खिलाफ नाराज नेताओं की संख्या बढ़ सकती है. इसलिए ऐसा आयोजन करने से अभी बचा जाए. इसके चलते सपा मुखिया ने अभी तक इफ्तार के आयोजन का दिन तय नहीं किया है.
अखिलेश पर मुस्लिम समाज की अनदेखी का आरोप
इस वजह से तरह तरह की राजनीतिक अटकलें लगाई जाने लगी हैं. सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अखिलेश समाजवादी पार्टी पर लगे मुस्लिम-यादव पार्टी होने के ठप्पा को खत्म करना चाहते हैं. इसीलिए वह ढ़ाई साल से जेल में बंद आजम खान से मिलने नहीं जा रहे हैं और ना ही आजम खान के पक्ष में बोल रहे पार्टी के मुस्लिम नेताओं के उठाए गए सवालों का जवाब दे रहे हैं. जबकि पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खान के करीबी फसाहत अली खां ने आरोप लगाया है कि सपा में मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम समाज की अनदेखी की जा रही है.
ऐसे आरोपों के चलते ही अब यह सवाल भी उठा है कि क्या अखिलेश यादव पार्टी में वर्षों से चलती आ रही इफ्तार के आयोजन की प्रथा को बंद करने की सोच रहे हैं. पार्टी की स्थापना के बाद से ही पार्टी के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव इफ्तार का आयोजन पार्टी मुख्यालय में करते रहे हैं. ऐसे आयोजनों में कई दलों के मुस्लिम नेताओं के अलावा लखनऊ के प्रतिष्ठित मुस्लिम मौलाना भी शामिल होते थे. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने पर ऐसे आयोजनों का स्थल पार्टी मुख्यालय के बजाए ताज होटल हो गया. सपा की तरह अन्य विपक्षी दलों ने भी इफ्तार का आयोजन शुरू किया. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी सत्ता में रहते हुए ताज होटल में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसे अब उन्होंने बंद कर दिया है. फिलहाल पहले यूपी में इफ्तार एक सांकेतिक इशारा था और अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंच बढ़ाने का एक जरिया भी, लेकिन अब इफ्तार पार्टियों के आयोजन को लेकर सपा में जो सोच विचार हो रहा है उससे पता चलता है कि वक्त और राजनीतिक परिस्थितियां बदल गईं हैं.
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