Samajvadi Party Candidate: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आजमगढ़ (Azamgarh) और रामपुर (Rampur) लोकसभा सीट (Loksabha Seat) पर होने वाले उपचुनावों (By Elections) को लेकर नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन आखिरकार समाजवादी पार्टी (Samajvadi Party) ने अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर सारे सस्पेंस को खत्म कर दिया है. पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आजमगढ़ सीट से अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) और रामपुर सीट से पार्टी के सीनियर नेता आजम खान (Azam Khan) के करीबी आसिम राजा (Asim Raja) को प्रत्याशी बनाया है. राज्य में रामपुर और आजमगढ़ संसदीय सीट (Parliamentary Seat ) पर होने वाले उपचुनाव को साल 2024 के इलेक्शन (2024 Loksabha Elections) से पहले के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है. इन दोनों ही संसदीय सीटों पर यादव और मुस्लिम वोटर (Yadav And Muslim Voters) ही जीत हार तय करते हैं. जिसके चलते अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अखिलेश यादव 2019 (2019 Loksabha Elections) का नतीजा (Result) फिर दोहरा पाएंगे? क्योंकि इस बार इन दोनों ही सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से समाजवादी पार्टी का सीधा टकराव होता दिख रहा है.


समाजवादी पार्टी के नेताओं का भी यही मत है. इन नेताओं के अनुसार अखिलेश यादव अब तक के अपने सबसे कठिन सियासी संघर्ष में फंसे हैं. उन्हें पहली बार आजमगढ़ और रामपुर की संसदीय सीटों पर प्रत्याशियों का नाम तय करने में पार्टी नेताओं की ही बहुत मान मनौव्वल करनी पड़ी. तब जाकर कहीं प्रत्याशियों के नाम फाइनल हो पाए वह भी नामांकन के अंतिम दिन. इस कारण से पार्टी कार्यकर्ता अभी तक एक्टिव नहीं हुआ है.


रामपुर और आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का गढ़


रामपुर को आजम खान का गढ़ माना जाता है जबकि आजमगढ़ में मुलायम परिवार का कब्जा रहा है. अब इन दोनों क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों के पोस्टर लगे हैं और बीजेपी इन दोनों ही सीटों पर हर हाल में 'कमल खिलाने' की कवायद में है. वहीं, सपा किसी भी सूरत में अपने हाथों से इसे निकलने देना नहीं चाहती है. इसलिए समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ में 'यादव' कार्ड तो रामपुर में मुस्लिम दांव खेला है. अखिलेश यादव दोनों ही संसदीय सीट पर अपने वर्चस्व को बनाए रखना चाहते हैं इसलिए उन्होंने ने यादव-मुस्लिम समीकरण का दांव चला है. लेकिन क्या वो 2019 जैसा नतीजा दोहरा पाएंगे ? कांग्रेस इन दोनों संसदीय सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है. और बीएसपी चीफ़ मायावती ने रामपुर सीट पर अपना कैंडिडेट न उतारने का ऐलान कर आजम खान को पहले ही वाकओवर दे रखा है. बीएसपी ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को आजमगढ़ के चुनावी मैदान में उतारा है. अब देखना है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ और रामपुर में अपनी सियासी दावेदारी कैसे पेश करते हैं.


दोनों ही सीटों खोना नहीं चाहेंगे अखिलेश यादव


फिलहाल बीजेपी (BJP) ने आजम (Azam Khan) के करीबी रहे घनश्याम लोधी (Ghanshyam Lodhi) को उतारकर रामपुर (Rampur) ने आजम खान के खेमे में सेंधमारी करने की अपनी मंशा को उजागर कर दिया है. अब समाजवादी पार्टी (Samajvadi Party) को अपनी दोनों सीट को बचाने की चुनौती है. इसके साथ ही बीजेपी ने आजमगढ़ से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' (Dinesh Lal Yadav Nirahua) को उम्मीदवार बनाकर यादव वोट बैंक (Yadav Vote Bank) में दावेदारी जता दी है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव (2019 Loksabha Elections) में भी दिनेश लाल यादव ने अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था. यह सीट समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती है. मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) से लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) तक इस सीट से सांसद (MP) रह चुके हैं. समाजवादी पार्टी इस सीट को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती है, जिसके चलते पार्टी ने काफी मंथन और विचार-विमर्श के बाद धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है ताकि पार्टी की जीत के सिलसिले को बरकरार रखा जा सके. इस सीट से धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारकर अखिलेश इस बार यादव-मुस्लिम वोटों (Yadav Muslim Votes) के समीकरण के सहारे अपने सियासी वर्चस्व को बनाए रखना चाह रहे है. अब देखना यह है कि इस सीट पर बीएसपी (BSP) और बीजेपी (BJP) से अखिलेश कैसे मुकाबला करते हैं.


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