लखनऊ: यूपी चुनाव में परवान चढ़ी राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती के रंग फीके पड़ने लगे है. एमके स्टालिन के राहुल को पीएम पद के उम्मीदवार के प्रस्ताव को अखिलेश ने झटका दिया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि ऐसा कोई जरुरी नहीं है कि गठबंधन की भी ऐसी ही राय हो.


अखिलेश यादव ने कहा, ''देश की जनता बीजेपी से नाराज है इसीलिए तीन राज्यों में कांग्रेस को सफलता मिली. ममता जी(पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी), पवार जी(एनसीपी नेता शरद पवार) और अन्य लोगों ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले गठबंधन बनाने के लिए सभी नेताओं को साथ लाने का प्रयास किया.'' अखिलेश ने कहा, ''अगर कोई (स्टालिन) अपनी राय दे रहा है तो कोई जरूरी नहीं कि गठबंधन के सभी घटक दलों की राय वही हो.''


क्या कहा था एमके स्टालिन ने?
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में शपथ ग्रहण से पहले एम के स्टालिन ने बड़ा बयान देकर राहुल गांधी की पीएम पद के लिए पैरवी की थी. एमके स्टालिन ने कहा, "तमिलनाडु की धरती से, मैं राहुल गांधी का नाम अगले प्रधानमंत्री कैंडीडेट के लिए प्रस्तावित करता हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके अंदर मोदी सरकार को हराने की क्षमता है."


डीएमके प्रमुख ने आगे कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन के पांच साल के शासन में देश 15 साल पीछे चला गया है. अगर हम उन्हें एक और मौका देते हैं, तो निश्चित रूप से देश 50 साल पीछे चला जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं, यही कारण है कि हम सभी लोकतंत्र और देश की रक्षा के लिए एक साथ आए हैं.


अखिलेश यादव से पहले अन्य विपक्षी दल भी स्टालिन के बयान पर असहमति दर्ज करवा चुके हैं. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, ममता बनर्जी की टीएमसी, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, लालू यादव की जेडीयू जदयू, सीपीएम और एनसीपी ने इससे असहमति जताई थी. दरअसल ज्यादातर विपक्षी दलों का मानना है कि चुनाव के बाद एकसाथ बैठकर फैसला करना चाहिए.