मैनपुरी: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधान परिषद में एसपी-बीएसपी गठबंधन को लेकर ‘सर्कस के शेर’ सम्बन्धी टिप्पणी करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि शेर चाहे कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा.
अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार द्वारा राज्य के सरकारी दस्तावेजों में बाबा साहब का नाम भीमराव अम्बेडकर की जगह ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ किये जाने के बारे में कहा, ‘‘अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संविधान की कुछ पंक्तियां पढ़ लें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर पढ़ लेंगे तो वह सदन में यह भी नहीं कहेंगे कि शेर भूखा है, वह दूसरे का खाना खाता है. शेर कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा.’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि योगी आदित्यनाथ अगर संविधान पढ़ लेंगे तो शायद सदन में समाजवाद को लेकर दिखने वाली उनकी नाराजगी नहीं दिखायी देगी.
मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी ने कल विधान परिषद में साल 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान एसपी-बीएसपी के गठजोड़ पर कटाक्ष करते हुए किसी का नाम लिये बगैर कहा था कि कुछ लोग आजकल सर्कस के शेर हो गये हैं. सर्कस का शेर शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिये दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है.
सीएम योगी ने कहा था कि वह इसलिए गौरवान्वित होता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे कोई शिकार मिल गया है, तो सर्कस का शेर बनने के बजाय खुद पर और अपने स्वाभिमान पर विश्वास करें तो बहुत अच्छी बात होगी. मुख्यमंत्री योगी ने समाजवाद को भी ‘धोखा‘ और ‘मृगतृष्णा‘ बताते हुए उसे फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ा था.
इसके बाद, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर किये गये ‘ट्वीट‘ में कहा था कि संविधान की उद्देशिका में ‘समाजवादी’ शब्द संविधान की मूल भावना के रूप में दर्ज है. मुख्यमंत्री का समाजवाद को ‘झूठा, समाप्त और धोखा’ कहना संविधान की अवमानना का गम्भीर मुद्दा है, इसके लिये उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिये और एक सच्चे योगी की तरह पद त्याग देना चाहिए.