Akhilesh Yadav News: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और 80 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की. सपा की इस कामयाबी से अखिलेश के हौसले बुलंद हैं. इंडिया गठबंधन के एक और दल कांग्रेस ने भी यूपी में 6 सीटों पर जीत हासिल की. इस तरह 80 में से 43 सीटें इंडिया गठबंधन के खाते में आईं. यूपी में झंडा गाड़ने के बाद अब अखिलेश यादव को भरोसा है कि 2027 विधानसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी ऐसा ही कारनामा करने वाली है. 


हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार राहुल श्रीवास्तव का मानना है कि यूपी की राह अखिलेश के लिए आसान नहीं होने वाली है. उन्होंने सपा को एक बड़ी चुनौती भी याद दिला दी है. लल्लनटॉप से बात करते हुए राहुल ने कहा कि अखिलेश को लोकसभा चुनाव के बाद आत्मविश्वास मिल गया है. उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पुराने रिश्तों का भी जिक्र किया और याद दिलाया कि किस तरह से उन्हें 2012 में यूपी की सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस सरकार से परेशानियों का सामना करना पड़ा. 


कांग्रेस संग रिश्तों का हुआ जिक्र


राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि 2012 के समय कांग्रेस समाजवादी पार्टी की दोस्त-दुश्मन की तरह थी. अखिलेश के खिलाफ सीबीआई के केस चल रहे थे. कांग्रेस को जब समर्थन की जरूरत होती थी कि पार्टी सीबीआई के जरिए दायर हलफनामों में लिखवा देती थी कि वह बेकसूर हैं. मगर फिर समर्थन की जरूरत खत्म होते ही उनके खिलाफ केस चलने लगता था. भले ही यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी, लेकिन उस दौर में कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं थे. 


इंडिया गठबंधन को ठीक से चलाना चाहते हैं अखिलेश यादव


वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अच्छा किया है. पूर्वी यूपी में पार्टी की पकड़ मजबूत हुई है. अखिलेश यादव का लंबे समय बाद कोई दांव सही हुआ है. यही वजह है कि अब वह चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन ठीक ढंग से चले. वह कांग्रेस के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. पहली बार बीएसपी का वोटर भी अखिलेश के साथ हुआ है. सपा प्रमुख चाहते हैं कि अगर कांग्रेस से उनको फायदा हो रहा है तो वह उसके साथ बने रहना चाहते हैं. 


क्या है अखिलेश यादव की चुनौतियां?


अखिलेश की चुनौतियों का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि सपा-कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अच्छा किया है. मगर चुनाव में एक नाराजगी थी. मैं कहता हूं कि बीजेपी-एनडीए के खिलाफ विरोध का वोट सपा-कांग्रेस को मिला है. अगर बीजेपी इस नाराजगी को दूर कर लेती है तो अखिलेश को भी इससे निपटना होगा. उन्हें इस वोट बैंक को बरकरार रखना होगा. इसलिए अभी उनके पास हनीमून पीरियड जैसा कुछ नहीं है. उन्हें जमीन पर काम करना होगा. 


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