Front Seat For Shivpal Singh Yadav: तमाम मतभेदों और तल्खियां बढ़ने के बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) के लिए विधानसभा में आगे की सीट की मांग की है. उनकी मांग है कि शिवपाल सिंह को मानसून सत्र के दौरान सदन में विपक्ष की अगली सीट पर बैठाने की व्यवस्था की जाए. सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इसकी पुष्टि करते हुए मंगलवार को बताया कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष को लिखे एक पत्र में शिवपाल को सदन में आगे की सीट पर बैठाने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया था. इसके बाद सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर उन्होंने ऐसी मांग क्यों रखी. आपको बताते हैं क्या है इसके मायने.
'सम्मान के तौर पर बैठाया जाए आगे'
राज्य विधानमंडल का मानसून सत्र 19 सितंबर को शुरू होना है. पत्र लिखने का कारण पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि शिवपाल यादव सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से हैं इसलिए सम्मान के तौर पर उन्हें आगे की बेंच पर बैठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वह एक वरिष्ठ सदस्य हैं सिर्फ इसीलिए उन्हें आगे की सीट पर बैठाने का अनुरोध किया गया है. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय ने ऐसा कोई भी पत्र प्राप्त होने की पुष्टि नहीं की है.
क्यों बढ़ी दोनों में दूरियां?
बता दें कि शिवपाल यादव ने अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मतभेद बढ़ने के बाद अगस्त 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन किया था. इस साल के शुरू में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी के बजाय सपा के टिकट पर जसवंत नगर सीट से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी. बाद में विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने पर आयोजित सपा विधायकों की समीक्षा बैठक में शिवपाल को नहीं बुलाया गया था, जिससे वह फिर नाराज हो गए थे. इसके बाद से दोनों के बीच दूरियां फिर बढ़ गई थीं. शिवपाल ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के बजाय भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया था.
इसके बाद सपा ने शिवपाल यादव को एक पत्र जारी कर कहा था कि उन्हें जहां ज्यादा सम्मान मिलता दिख रहा हो वहां जाने के लिए वह स्वतंत्र हैं. शिवपाल यादव ने हाल ही में 'यदुकुल पुनर्जागरण मिशन' की शुरुआत की थी जिसका मकसद यादव मतदाताओं को एकजुट करना है.
ये भी पढ़ें:
Exclusive: नीतीश कुमार के PK प्लान की इनसाइड स्टोरी, क्या साथ आने वाले हैं प्रशांत किशोर?