Akhoondji Masjid Demolished: अखूंदजी मस्जिद और बहरूल उलूम मदरसे को ध्वस्त करने को लेकर स्थानीय लोगों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) अधिकारियों पर उनके फोन छीनने, उन्हें साइट से दूर ले जाने और इलाके की घेराबंदी के आरोप लगाए हैं. इस संबंध में मस्जिद के इमाम ने कहा कि उन्हें विध्वंस से पहले सामान निकालने के लिए महज 10 मिनट का वक्त दिया गया था.
पिछले डेढ़ साल से मस्जिद के इमाम रहे हुसैन ने कहा, "मशीनें आने और विध्वंस शुरू होने से पहले हमें अपना सामान इकट्ठा करने के लिए मुश्किल से दस मिनट का समय दिया गया था."
'तुरंत हटाया गया मलबा'
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने उनका फोन छीन लिया था और उन्हें साइट से दूर ले जाकर वहां घेराबंदी कर दी. साथ ही मस्जिद के चारों ओर सीआईएसएफ कर्मियों को तैनात कर दिया गया. हुसैन ने द इंडियान एक्सप्रेस को बताया कि विध्वंस का मलबा तुरंत इकठ्ठा करके उसका निपटान कर दिया गया. वहीं, स्थानीय निवासी शम्सतबरेज खान ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने कब्रिस्तान को भी नहीं बख्शा और वहां मौजूद कब्रों को भी अपवित्र कर दिया गया.
'बच्चों को सामान पैक करके जाने को कहा'
मंगलवार (30 जनवरी) तड़के इमाम जब जाकिर हुसैन सुबह की नमाज के लिए तैयार हो रहे थे, तभी पुलिस ने महरौली मस्जिद पर दस्तक दी. इस दौरान परिसर में चल रहे मदरसे में रहते हैं और पढ़ने वाले बच्चों को सामान पैक करके चले जाने को कहा गया.
600-700 साल पुरानी थी मस्जिद
इसके बाद डीडीए ने अखूंदजी मस्जिद और बहरूल उलूम मदरसे को ध्वस्त कर दिया. स्थानीय लोगों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण रजिया सुल्तान के शासनकाल के दौरान किया गया था. यह इमारत लगभग 600-700 साल पुरानी हो गई थी. हालांकि, परिसर में एक मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान शामिल था, लेकिन यह अधिसूचित विरासत इमारत नहीं थी.
'माता-पिता को विध्वंस के बाद किया सूचित'
कश्मीर निवासी मोहम्मद सोहेल शेख ने बताया कि इसके बारे में मदरसे में रहने वाले बच्चों के माता-पिता को विध्वंस के बाद ही सूचित किया गया था. उन्होंने बताया कि उनका बेटा मदरसे में ही पढ़ता था. वह बुधवार (31 जनवरी) को अपने बेटे से मिलने के लिए कश्मीर से दिल्ली पहुंचे, लेकिन जब वह यहां पहुंचे तो मदरसा गायब था और जहां वह खड़े थे, वहां भारी पुलिस तैनात था.
DDA ने कहा-उचित प्रक्रियाओं का किया पालन
इन आरोपों पर डीडीए अधिकारियों ने तर्क दिया कि संरचना संजय वन में थी. रिज प्रबंधन बोर्ड के निर्णय के अनुसार रिज क्षेत्र को सभी प्रकार के अवैध अतिक्रमण से मुक्त होना चाहिए. डीडीए ने कहा, "धार्मिक प्रकृति की अवैध संरचनाओं को हटाने की मंजूरी धार्मिक समिति की ओर से दी गई थी." मस्जिद अधिकारियों को इस बारे में पहले से सूचना की जानकारी न होने पर डीडीए के एक अधिकारी ने कहा, "हमने सभी उचित प्रक्रियाओं का पालन किया है."
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