दिल्ली समेत देश के कुछ हिस्सों में लगातार आ रहे भूकंप झटकों को देखते हुए अब सरकार ऐसी तकनीक पर काम कर रही है, जिससे आने वाले दिनों में भूकंप आने से पहले ही लोगों को सचेत किया जा सकेगा. ये तकनीक एक तरह की भूकंपीय निगरानी नेटवर्क (seismic monitoring network) होगा. 


इस तकनीक से यह पता चल सकेगा कि किन इलाकों में भूकंप कितनी तीव्रता के आ सकते हैं और वहां की इमारतों को किस तरह से बनाया जाए. इसके साथ ही उन इलाकों में जनता को कैसे और ज़्यादा संवेदनशील बनाया जाए, जिससे कभी भूकंप के झटके दर्ज़ हो तो जनता को पहले से ही उसको लेकर तैयार किया जा सके. साथ ही भूकंप आने की स्थिति में किस तरह से खुद का और लोगों का बचाव करना है.


किस पर स्टडी कर रही है सरकार?


यह जानकारी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लोकसभा में दिए जवाब से सामने आई है. संसद में सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार ऐसी कोई स्टडी कर रही है, जिससे पता चल सके कि बार बार आने वाले भूकंप की वजह क्या है और कौन से इलाके ज्यादा संवेदनशील है और वहां पर किस तरह से लोगों को जागरूक किया जा रहा है और सरकार क्या कदम उठा रही है.


कुछ इलाकों में माइक्रोज़ोनेशन का काम भी हो चुका पूरा


सामने आयी जानकारी के मुताबिक सरकार कुछ इलाकों में माइक्रोज़ोनेशन का काम भी कर चुकी है, इसका मतलब ये है कि ये पता लगाने की कोशिश की जा चुकी है कि आख़िर किन इलाकों में भूकंप का ज़्यादा ख़तरा है और कितनी तीव्रता का भूकंप आ सकता है. फ़िलहाल ये माइक्रोज़ोनेशन का काम दिल्ली, कोलकाता, गैंगटॉक, गुवहाटी, बैंगलोर, भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयंबटूर और मैंगलोर में किया जा चुका है.


दिल्ली समेत कई इलाकों में दर्ज हो रहे भूकंप के झटके


ये जानकारी इस वजह से महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली समेत देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां पर  भूकंप के झटके लगातार दर्ज किए जा रहे हैं. इनमें कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर 7 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है. इतिहास इस बात का गवाह है कि 7 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप विनाशकारी साबित होता है. 


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