Aligarh Muslim University Live: 'कानूनी एक्सपर्ट की राय लेंगे', AMU पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोलीं वाइस चांसलर
Aligarh Muslim University Live: केंद्र सरकार ने इस मामले में सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि AMU को अल्पसंख्यक खांचे में रखना सही नहीं है. पीठ ने पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एएमयू के एक छात्र ने कहा, "यह लड़ाई कई साल से चल रही थी और आज इसका समापन हुआ. यह एएमयू की विचारधारा की लड़ाई है... आप देख सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां अपनी संतुष्टि व्यक्त करने के लिए इकट्ठा हुए लोगों की संख्या बढ़ रही है..."
एएमयू के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे को लेकर आए फैसले पर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ के महासचिव और प्रवक्ता यासूब अब्बास ने कहा, "मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं क्योंकि उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को जारी रखने के लिए अनुकूल फैसला देगी..."
एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें उसने 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें यह तय किया गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं होगा. मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को तय करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा. मुझे लगता है कि सभी ऐतिहासिक तथ्य हमारे सामने हैं और हम उन्हें 3 जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे..... सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जाता है, तो कौन सा संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा और अनुच्छेद 30 ए का क्या होगा?"
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AMU के पीआरओ उमर सलीम पीरजादा ने कहा, "एएमयू सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है. फिलहाल, हम शैक्षणिक गतिविधियों, राष्ट्र निर्माण और समावेशिता को बनाए रखने के लिए समर्पित हैं."
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति नईमा खातून ने कहा, "हम फैसले का सम्मान करते हैं. हम अगली कार्रवाई के लिए अपने कानूनी विशेषज्ञों के साथ चर्चा करेंगे."
कोर्ट ने अजीज बाशा वाला फैसला पलट दिया है, लेकिन AMU के स्टेटस पर फैसला 3 जजों की बेच बाद में करेगी.
CJI- AMU अल्पसंख्यक संस्थान है.
CJI- संस्थान को स्थापित करने और उसके सरकारी तंत्र का हिस्सा बन जाने में अंतर है, लेकिन आर्टिकल 30(1) का मकसद यही है कि अल्पसंख्यकों की ओर से बनाया गया संस्थान उनके जरिये ही चलाया जाए.
CJI ने कहा," चाहे कोई शैक्षणिक संस्था संविधान लागू होने से पहले बनी हो या बाद में... इससे उसका दर्जा नहीं बदल जाएगा."
CJI ने कहा ऐसा संभव है कि किसी अल्पसंख्यक समुदाय की तरफ से बना संस्थान भी उसकी ओर से प्रशासित न हो. उसे कोई और चलाए.
CJI ने फैसला पढ़ते हुे कहा, "हमें तय करना है कि किसी संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा कैसे दिया जा सकता है. भाषाई, सांस्कृतिक या धार्मिक अल्पसंख्यक अनुच्छेद 30 के तहत अपने लिए संस्थान बना सकते हैं, लेकिन यह सरकारी नियमन से पूरी तरह अलग नहीं होते.
AMU पर फैसला शुरू. कुल 4 फैसले हैं, CJI बहुमत का फैसला पढ़ रहे हैं.
एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने का विरोध करने वाले एक वकील ने यहां तक दावा किया था कि 2019 से 2023 के बीच केंद्र सरकार से उसे 5,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले हैं, जो केंद्रीय यूनिवर्सिटी दिल्ली यूनिवर्सिटी को मिले धन से लगभग दोगुना है.
अदालत ने आठ दिन तक दलीलें सुनने के बाद 1 फरवरी 2024 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 1 फरवरी को अदालत ने कहा था कि एएमयू अधिनियम में 1981 के संशोधन ने केवल आधे-अधूरे मन से काम किया और संस्थान को 1951 से पहले की स्थिति में बहाल नहीं किया. 1981 के संशोधन ने इसे प्रभावी रूप से अल्पसंख्यक दर्जा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा कि क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है. अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रशासन का अधिकार देता है.
बैकग्राउंड
Aligarh Muslim University Live Update: सुप्रीम कोर्ट में आज (8 नवंबर 2024) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया जाएगा. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की 7 जजों की बेंच यह फैसला सुनाएगी. दरअसल, केंद्र सरकार ने इस मामले में सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि AMU को अल्पसंख्यक खांचे में रखना सही नहीं है. पीठ ने पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, CJI के लिए नामित चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के निर्णय से यह तय होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान (Minority Institutions) के तौर पर दर्जा दिया जाए या नहीं.
ये बातें भी होंगी तय
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आज यह भी तय करेगा कि किसी शैक्षणिक संस्थान को संविधान के आर्टिकल-30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के मानदंड क्या हैं? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि संसदीय कानून की ओर से निर्मित कोई शैक्षणिक संस्थान क्या संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर सकता है?
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