जयपुर: अलवर की एक अदालत ने अप्रैल 2017 के बहुचर्चित पहलू खान भीड़ हत्या (मॉब लिंचिंग) मामले में सभी छह बालिग आरोपियों को बुधवार को बरी कर दिया. अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है. सरकारी वकील योगेंद्र सिंह खटाणा ने अलवर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय (संख्या एक) के बाहर संवाददाताओं को बताया, ''अदालत ने छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.''


उन्होंने कहा, ''फैसले की प्रति अभी हमें नहीं मिली है. फैसले का अध्ययन करने के बाद हम निश्चित रूप से उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.'' न्यायाधीश डॉ सरिता स्वामी ने सात अगस्त को दोनों पक्षों की बहस और अंतिम जिरह सुनने के बाद अपना फैसला बुधवार के लिए सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि इस मामले में कुल नौ आरोपियों में तीन नाबालिग हैं, जिनका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है. बालिग आरोपियों में विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी शामिल थे, जिन्हें अदालत ने बरी कर दिया.


बचाव पक्ष के वकील हुकुम चंद शर्मा ने अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, ''यह उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है, जो इस मामले की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने की कोशिश कर रहे थे.'' वहीं, पहलू खान पक्ष के वकील कासिम खान ने कहा, '' अदालत के फैसले की प्रति मिलने के बाद हम इसका अध्ययन करेंगे और आगे अपील करेंगे. हमें उम्मीद है कि हमें न्यााय मिलेगा.'' पहलू खान के बेटे इरशाद ने कहा कि वह अदालत के इस फैसले से खुश नहीं हैं और आगे अपील करेंगे.


इस बहुचर्चित घटना के समय राज्य के गृहमंत्री रहे और फिलहाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने अदालत का फैसला आने के बाद कहा, ''मैं शुरू से ही इस मामले में स्पष्ट था कि कानून की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो. इस मामले को एक विशेष (राजनीतिक) रंग देकर देश भर में उठाया गया मानों हम इस तरह की हत्याओं के पक्षकार हैं.''


यह घटना दो साल पहले की है, जब खान एक अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर जा रहा था तभी बहरोड़ में भीड़ ने गो तस्करी के शक में उन्हें रोक लिया. खान और उसके दो बेटों की भीड़ ने कथित तौर पर पिटाई की. इसके बाद, तीन अप्रैल को ईलाज के दौरान अस्पताल में खान की मौत हो गयी.