नई दिल्ली: पूर्व उप-प्रधानमंत्री और देश के पहले गृहमंत्री आयरन मैन सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा बनकर तैयार है. 182 मीटर की यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. पटेल की प्रतिमा को पांच भागों में बांटा गया है. प्रतिमा के 153 मीटर पर गैलरी बनाई गई है. जहां एक समय में करीब 200 पर्यटक इकट्ठा हो सकते हैं. यहां से सरदार सरोवर बांध और सतपुड़ा और विंध्य की पहाड़ का दीदार किया जा सकता है.
- विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के साधु बेट टापू पर बनी दुनिया की सबसे ऊंची सरदार पटेल की मूर्ति को बनाने में करीब 2979 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अहमदाबाद से प्रतिमा की दूरी 200 किलोमीटर है.
- संग्राहलय और स्टैच्यू की कुल ऊंचाई 208 मीटर है. (बेस की ऊंचाई 58 मीटर + स्टैच्यू की ऊंचाई 182). यह प्रतिमा मौजूदा समय में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा चीन के स्प्रिंग टेम्पल ऑफ बुद्ध से भी 29 मीटर ऊंची है. चीन की प्रतिमा की ऊंचाई 153 मीटर है. सरदार पटेल की प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित 93 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुना बड़ी है.
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- इस मूर्ति में देशभर के गांवों से एकत्रित किए गए 18500 टन कृषि यंत्रों के लोहे का इस्तेमाल किया गया है. 6500 टन स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल किया गया है. प्रतिमा के निर्माण में 70 हजार टन सीमेंट और दो लाख बारह हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट लगा है.
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की मजबूती का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 60मीटर/सेकेंड की हवा यानी तेज चक्रवात और 6.5 रिक्टर स्केल के झटकों में भी ऐसे ही खड़ी रहेगी. बाढ़ में प्रतिमा को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए फ्लड लेवर से ऊपर प्रतिमा को बनाया गया है.
- पटेल के स्टैच्यू को बनाने में करीब 3400 कारीगर लगे. साथ ही 250 इंजीनियरों की मदद ली गई. इसे बनाने में तीन साल नौ महीने का वक्त लगा है.
- इसमें दो हाई स्पीड लिफ्ट भी है, जिससे एक समय में करीब 40 लोग गैलरी तक जा सकते हैं.
- प्रतिमा के पास स्थित पहाड़ियों पर फूल लगाया गया है. जिससे गैलरी से नजारा 'फूलों की घाटी' जैसा दिखेगा.
- मूर्ति के बेस में संग्रहालय बनाया गया है. इसमें सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो भी होगा.
- स्टैच्यू तक जाने के लिए 306 मीटर रास्ता बनाया गया है और इसे मार्बल से तैयार किया गया है. इसके अलावा दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी पैदल पथ बनाया गया है.
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टर्बो ने बनाया है. इसके लिए दिसंबर 2014 में काम शुरू किया गया था. इसका डिजाइन मूर्तिकार राम वनजी सुतार ने तैयार किया. सुतार को 2016 में पद्म भूषण और 1999 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
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