लखनऊ: ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ विधेयक पारित किए जाने की निन्दा की. बोर्ड ने कहा कि वह इस विधेयक में संशोधन कराने या उसे रद्द कराने के लिए सभी लोकतांत्रिक तरीके अपनाएगा. बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलउर्रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि बोर्ड को इस बात का बहुत अफसोस है कि तीन तलाक सम्बन्धी विधेयक को इतनी जल्दबाजी में पेश किया गया. इस जल्दबाजी की कोई वजह समझ में नहीं आती.


प्रवक्ता ने कहा कि आज संसद की कार्यवाही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई बार बोर्ड का जिक्र किया. बीजेपी की एक सांसद ने बोर्ड अध्यक्ष राबे हसनी नदवी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र के एक-एक बिंदु का जवाब देने की कोशिश की. जाहिर है कि सरकार ने बोर्ड को एक प्रतिनिधि संगठन माना है. ऐसे में उसका हक था कि उसके अध्यक्ष के खत के सम्मान में विधेयक को चंद दिन के लिए रोक दिया जाता.


विधेयक का विरोध करने वाले सांसदों का शुक्रिया: AIMPLB


मौलाना नोमानी ने कहा कि आज जिस तरह इस विधेयक को जल्दबाजी में पेश किया गया. उसकी हम निन्दा करते हैं और उसे गैर जरूरी और ‘गैर दानिशमंदाना’ (नासमझीभरा) करार देते हैं. न्होंने तीन तलाक सम्बन्धी विधेयक का विरोध करने या उसमें संशोधन की हिमायत करने वाले सांसदों का शुक्रिया अदा किया.


इस बारे में बोर्ड के अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर नोमानी ने कहा कि बोर्ड अभी हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि बोर्ड अभी अदालत जाने के विषय में कोई विचार नहीं कर रहा है और इस विधेयक में संशोधन कराने या उसे रद्द कराने के लिए जो भी लोकतांत्रिक तरीके होंगे वे अपनाये जाएंगे.


ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले का किया स्वागत


इस बीच, आल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने संसद में विधेयक पेश किये जाने का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं में एक नयी उम्मीद जगी है. तीन तलाक एक अभिशाप है और इसके खात्मे के लिये उठाया जाने वाला हर कदम सराहनीय है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रस्तावित कानून कुरान शरीफ की रोशनी के अनुरूप नहीं हुआ तो वह उन्हें स्वीकार नहीं होगा.


तीन तलाक देने वाले को हो 10 साल की सजा: वसीम रिजवी


इधर, उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तीन तलाक देने वालों को तीन साल के बजाय 10 साल कैद की सजा दिलाने की मांग की है. रिजवी ने एक बयान में कहा कि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड एक बार में तीन तलाक़ को सही मानते हुए इससे सम्बन्धित विधेयक का विरोध कर रहा है, जोकि खेदनीय है. एक बार में तीन बार तलाक़ कह देने से तलाक़ हो जाना शरई मामला नहीं है. यह महिलाओं के प्रति अत्याचार और शोषण का मामला है, जोकि अपराध की श्रेणी में आता है. इसे आपराधिक कृत्य मानते हुए भारतीय दण्ड संहिता के तहत दण्डनीय अपराध होना चाहिए.