(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान पर सर्वदलीय बैठक में सरकार के जवाब और रुख के साथ खड़े नजर आए अधिकतर नेता
Afghanistan-All Party Meet: बैठक में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने करीब 20 स्लाइड का प्रजेंटेशन दिया, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से भारतीयों की निकासी की योजना पर जानकारियां साझा की गई.
Afghanistan-All Party Meet: अफगानिस्तान में तालिबानी कब्ज़े से उठे राजनीतिक और कूटनीतिक संकट पर सरकार गुरूवार को संसद में विभिन्न दलों के बीच पूरी तैयारी से पहुंची. भारतीयों को सुरक्षित निकालने से लेकर भारत के हितों की हिफाज़त के तमाम सवालों पर दिए जवाबों के बाद अधिकतर दल यही कहते नज़र आए कि विदेश नीति के इस अहम मुद्दे पर वो सरकार के साथ हैं.
संसद भवन परिसर में गुरुवार सुबह करीब 11 बजे शुरू हुई बैठक में विदेश मंत्रालय ने जहां विस्तार से प्रजेंटेशन दिया, वहीं विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने विभिन्न दलों के नेताओं की तरफ से उठाए गए अनेक सवालों के जवाब दिए. संसदीय कार्य मंत्रालय की तरफ बुलाई गई थी.
बैठक के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर हमारी एक मजबूत राष्ट्रीय स्थिति है. वहीं अफगानिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों को वापस लाना सरकार की प्राथमिकता है और इसे सुनिश्चित किया जाएगा. वहीं तालिबान के साथ बातचीत के मुद्दे पर उठे सवालों को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात अभी अस्थिरता वाले हैं. ऐसे में नीतिगत रुख क्या होना चाहिए इस बारे में थोड़ा इंतजार करने की जरूरत है.
सर्वदलीय बैठक में भी अधिकतर दल इस बात से सहमत नजर आए कि फिलहाल अफगानिस्तान के हालात की हवा किस तरफ रुख लेती है, उसको देखने के बाद ही भारत को निर्णय करना चाहिए. सरकार की तरफ से इतना जरूर कहा गया कि अफगानिस्तान के साथ पुराने रिश्तों के मद्देनजर भारत अभी पक्षों के साथ सम्पर्क में है. सरकार की तरफ से रखे गए वेट एंड वॉच के नजरिए का भी अधिकतर नेताओं ने समर्थन किया.
इसके अलावा सरकार ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर अभी तक किए गई अंतरराष्ट्रीय सम्पर्क, क़ई कवायदों और भारतीय अध्यक्षता वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई कार्रवाई का भी लेख-जोखा दिया. हालांकि, बैठक में क़ई दलों ने सरकार को अमेरिका की तरफ से अंधेरे में रखने को लेकर घेरा. वहीं अनेक नेताओं ने आतंकवाद के मुद्दे पर उभरी चिंताओं को भी रखा.
बैठक में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने करीब 20 स्लाइड का प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से भारतीयों की निकासी की योजना पर जानकारियां साझा की गई. विदेश मंत्रालय ने अपने प्रेजेंटेशन में उन सवालों का भी जवाब देने की कोशिश की जो सरकार की प्रतिक्रिया के संबंध में उठाए गए. विदेश सचिव ने बताया कि भारत ने काबुल में अपने राजनयिक मिशन के कर्मचारियों की संख्या- जून 2021 से ही शुरू कर दिया था. इसके बाद जुलाई में कंधार और मजार-ए-शरीफ के वाणिज्य दूतावास से भारतीय कर्मचारियों को हटाया गया, वही 15 अगस्त 2021 के बाद काबुल स्थित दूतावास से भी कर्मचारियों को सुरक्षित निकाला गया.
अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए अब तक 6 उड़ानें संचालित की गई हैं. इनके जरिए अब तक 565 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है. इस कड़ी में 175 भारतीय दूतावास कर्मियों समेत 438 भारतीय नागरिक हैं. वही 112 अफगान सिख व हिंदुओं को भी भारत ने सुरक्षित निकाला है. इसी कड़ी में भारत ने पड़ोसी देशों के बीच 15 नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकलने में मदद की है.
सरकार ने इस बात को भी गिनाया कि काबुल में तालिबान की नाकेबंदी हो और एयरपोर्ट पर फैली अव्यवस्थाओं के बीच नागरिकों को निकालना कितना मुश्किल है. सरकार के मुताबिक एयरपोर्ट पर जहां एक टीम तैनात की गई है वही काबुल समेत अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों में कोऑर्डिनेटर भी मौजूद है. साथी दिल्ली में विदेश मंत्रालय का विशेष अफगान सेल मदद के लिए गुहार लगाने वाले भारतीयों को मार्गदर्शन दे रहा है.
संसद में मौजूद राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से अफगानिस्तान में भारतीय निवेश को लेकर उठाए गए सवालों और चिंताओं का जवाब देते हुए विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने कहा कि भारत में मदद के तौर पर विकास परियोजनाएं चलाई. यह अफगानिस्तान से आर्थिक लाभ लेने वाला कोई निवेश नहीं था.