Sri Lanka Economic Crisis: पड़ोसी मुल्क श्रीलंका (Sri Lanka) के आर्थिक और राजनीतिक संकट (Economic and Political Crisis) को लेकर चिंताएं भारत (India) की संसद में भी हो रही है. सरकार ने श्रीलंका के संकट और उसके सबक पर सांसदों के सवालों का जवाब देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई. हालांकि बैठक में पड़ोसी देश के हालात पर हुई बात घरेलू विवाद का सबब भी बन गई.
बैठक के दौरान YSR, TMC, TRS, DMK जैसे दलों के नेताओं ने इस बात को लेकर सवाल उठाए कि श्रीलंका के संकट पर बुलाई गई बैठक में आखिर भारत के राज्यों की माली हालत के आंकड़े क्यों बताए जा रहे हैं? राज्यों में सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की शिकायत थी कि कुछ राज्यों के आंकड़ों को उभार कर दिखाया गया.
विरोध के बाद रुका प्रेजेंटेशन
दक्षिण भारत के एक सांसद ने शिकायत के मुताबिक राज्यों पर जीडीपी प्रतिशत के मुकाबले बाहरी कर्ज के आंकड़े दिखाए गए लेकिन केंद्र पर कर्ज की बात नहीं की गई. ऐसे में विभिन्न दलों के नेताओं की शिकायत के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से बैठक में दिए जा रहे प्रेजेंटेशन को रोक दिया.
हालांकि बैठक के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि करीबी पड़ोसी के नाते श्रीलंका के हालात में अस्थिरता होने पर हमारी चिंता स्वाभाविक है. क़ई सदस्यों की चिंता थी कि इन हालातों के हमारे लिए क्या सबक हैं? सदस्यों को चिंता थी कि क्या भारत में भी इस तरह की स्थिति हो सकती है.
तुलनात्मक स्थिति बताने की कोशिश
विदेश मंत्री के मुताबिक वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर विभिन्न दलों के नेताओं को ब्रीफ किया गया. वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि भारत के विभिन्न राज्यों में कर्ज की स्थिति क्या है. यह बताने का प्रयास किया कि वित्तीय सुधार और अनुशासन से चलना ही श्रीलंका के हालात का सबक है. डेटा दिखाने के पीछे कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था. हमने केवल तुलनात्मक स्थिति बताने की कोशिश की.
जयशंकर ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए श्रीलंका जैसे हालात की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि भारत में ऐसी स्थिति नहीं होगी. भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और सरकार जरूरी उपाय भी लगातार कर रही है.
श्रीलंका के सपोर्ट में आए फारुख अब्दुल्ला
बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि भारत को हर संभव प्रयास करना चाहिए कि श्रीलंका को संभाला जाए. वहीं अन्य कई नेताओं ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत को समय रहते मदद के साथ पड़ोसी देश को संभालने पर जोर देना चाहिए और अधिक आर्थिक मदद का भी ऐलान करना चाहिए.
हालांकि विदेश मंत्री जयशंकर (External Affairs Minister Jaishankar) ने साफ किया कि भारत (India) अभी श्रीलंका (Sri Lanka) और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund) के बीच हो रही बातचीत के निर्णयों का इंतजार कर रहा है. इसके बाद ही तय होगा कि भारत क्या और कैसी सहायता भूमिका निभा सकता है. भारत ने आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका (Economic Crisis in Sri Lanka) को 3.8 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मुहैया कराई है. साथ ही राशन, ईंधन और दवाओं की भी मदद दी है.
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