नई दिल्ली: साल 2014 में इराक के मोसुल शहर से लापता हुए 39 भारतीयों की आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने हत्या कर दी. आज 39 में से 38 भारतीयों के शव को भारत लाया जा रहा है. एक शव का डीएनए पूरी तरह मैच नहीं होने की वजह से वहां से क्लियरेंस नहीं मिला है. 39 भारतीयों में 31 पंजाब, 4 हिमाचल प्रदेश और बिहार-पश्चिम बंगाल के 2-2 नागरिक शामिल हैं. विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह दोपहर 1.30 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचेंगे. जानें इस त्रासदी की पूरी कहानी क्या है.


साल 2014 से लापता थे 40 भारतीय

इराक गए 40 भारतीय साल 2014 से लापता थे. ये भारतीय इराक के मोसुल शहर में एक कंपनी में मजदूरी का काम करते थे. जून 2014 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के मोसुल शहर पर कब्जा करने के बाद से ये भारतीय शहर से लापता हो गए थे. पिछले साल जुलाई में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा था, ‘मैं उन्हें (लापता भारतीयों) तब तक मृत घोषित नहीं करूंगी, जब तक हमें इस बारे में पुख्ता सबूत नहीं मिल जाते."

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20 मार्च को सुषमा स्वराज ने दी जानकारी

20 मार्च को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में भारतीयों की मौत की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि इराक के मोसुल में 2014 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा अगवा किए गए 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है.

कंपनी ने सभी से जाने के लिए कहा था

सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में बताया, ‘’कंपनी ने बताया कि हमारे यहां 40 भारतीय काम करते थे. जिनमें बांग्लादेशी भी थे. जब आईएस ने मोसुल पर कब्जा करना शुरू किया तो कंपनी ने सभी से जाने के लिये कहा. उसके बाद इराक और अन्य देशों के नागरिक कंपनी छोड़कर चले गये. लेकिन भारतीय और बांग्लादेश के मजदूरों ने कंपनी नहीं छोड़ी.’’



पहले थी जेल में होने की उम्मीद

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उम्मीद जताई थी कि जिन 39 भारतीयों का अपहरण किया था वह इराक की जेल में कैद हो सकते हैं. पीड़ितों के परिवार वालों के साथ बात करने के बाद सुषमा ने कहा था कि ये लोग बदुश जेल में कैद हो सकते हैं. बदुश, मोसुल से 31 किलोमीटर की दूरी पर है.

40 भारतीयों में से 39 की मौत

बगदादी के आतंकियों ने मोसुल में कुल 40 भारतीयों को बंधक बनाया था, जिसमें से एक हरजीत सिंह मसीह था. लेकिन वो आतंकियों को चकमा देकर भाग निकला था. मसीह ने एबीपी न्यूज़ से कहा था, ‘’आतंकियों की गोली उसके पैर में लगी थी और आतंकियों ने उसे मरा समझ कर छोड़ दिया. बाद में मैं वहां से भाग गया.’’ हालांकि सुषमा स्वराज ने मसीह के इस बयान को झूठ करार दिया है. सुषमा ने कहा, ‘’मसीह, अली बनकर इरबिल निकल गया था. आतंकी हर दिन सभी मजदूरों की गिनती करते थे. हरदीप के जाने के बाद 40 में से 39 बचे. आईएस ने सभी 39 भारतीयों को अलग शिफ्ट कर दिया. कंपनी के मालिक ने बताया कि उन्हें बदुश ले जाया गया. उसके बाद कंपनी को जानकारी नहीं मिली कि सभी भारतीय कहां हैं.’’

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कौन है ISIS?

ISIS यानि इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया अरब दशों के रेगिस्तान और शहरों में आतंक की सबसे बड़ी पहचान बन चुका है. चंद सालों में ही लाखों मासूमों के लिए कफन तैयार करने वाला ये आतंकवादी संगठन अपनी नफरत से दुनिया को बर्बाद और तबाह कर देना चाहता है. ISIS मौजूदा समय में ओसामा बिन लादेन के संगठन अल-कायदा और अफीक्रा के आतंकवादी संगठन बोको हराम से भी ज्यादा खूंखार है और ये संगठन आज पूरी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती है. इसका मकसद करीब 14 सौ साल पहले सऊदी अरब में जो खलीफा राज या इस्लामिक राज कायम किया गया था उसे दोबारा स्थापित करना है. इसके लिए ये सर कलम कर देने से लेकर ज़िंदा जला देने और दफना देने जैसी क्रूरता की सारी हदें पार करता रहा है. उसी क्रूरता की भेंट ये 39 भरातीय भी चढ़ गए.

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