नई दिल्ली: धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को लेकर कयास, अफवाहों और अटकलों का बाज़ार गर्म है. सोशल मीडिया से लेकर देशभर में चौक चौराहों पर अलग-अलग चर्चाएं जन्म ले रही हैं. इसके साथ ही वादी-ए-कश्मीर की सड़कों, गलियों, दुकानों, बाजारों, मकानों और घरों में बेचैनी का आलम है. तरह-तरह की अफवाहें जगंल में आग की तरह फैल रही हैं और इस माहौल का फायदा उठाने में अलगाववादी और आतंकी भी लगे हुए हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि सूबे से अनुच्छेद 35ए का खात्मा कर दिया जाएगा. दूसरा कयास ये भी लगाया जा रहा है कि राज्य को तीन हिस्सों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में बांटा जा सकता है और तीन नए केंद्र शासित राज्य का गठन हो सकता है.
इन अफवाहों को गति बीते चंद दिनों की सियासी हलचलों से मिल रही है. सूबे में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाई गई है, अमरनाथ यात्रा रोक दी गई है. श्रद्धालुओं और सैलानियों को सूबे से फौरन निकल जाने की सलाह दी गई है. इन फैसलों की वजह से कश्मीर में ये संदेश गया है कि कुछ असामान्य होने वाला है और ऐसे माहौल में स्थानीय लोग जमकर जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं.
अब सवाल है कि अनुच्छेद 35ए क्या है और इसके हटाए जाने से क्या कुछ बदल जाएगा?
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के आदेश के साथ भारत के संविधान में अनुछेद 35ए जोड़ा गया. दिलचस्प बात ये है कि संविधान में जो 448 अनुछेद हैं, 35ए उसमें शामिल नहीं है. अनुछेद 370 (1) (d)के अंतर्गत राष्ट्रपति के आदेश से अनुछेद 35ए लाया गया. धारा 370 राष्ट्रपति को संविधान में जम्मू-कश्मीर के स्टेस सब्जेक्ट्स में फायदे के लिए 'अपवाद और संशोधन' का अधिकार देता है. खयाल रहे कि अनुछेद 35ए पर राष्ट्रपति का आदेश आने से पहले जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा में इस मुद्दे पर पांच महीने तक खूब बहस हुई.
अनुच्छेद 35ए से क्या अधिकार मिलते हैं?
अनुछेद 35ए राज्य विधानसभा को अधिकार देता है कि वो तय करें कि सूबे का स्थायी नागरिक कौन होगा?
35 ए के तहत:-
- हर वो शख्स सूबे का स्थायी नागरिक होगा जो 14 मई 1954 से पहले स्टेट सब्जेक्ट है या 10 साल से सूबे में रह रहा हो और कानूनी तरीके से अचल संपत्ति खरीदी हो.
- जो स्थायी नागरिक नहीं है, उन्हें कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने इत्यादि का अधिकार नहीं है.
- दूसरे सूबे के अस्थाई नागरिकों को स्कॉलरशिप भी नहीं मिल सकती.
- यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर राज्य को अधिकार देता है कि कोई महिला अगर किसी दूसरे स्टेट के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी कश्मीरी नागरिकता छीन ली जाए. हालांकि, साल 2002 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक शादी करने वाली महिला की नागरिकता खत्म नहीं की जाएगी, लेकिन उनके होने वाले बच्चों को यह अधिकार नहीं मिलेगा.
35ए के हटने से क्या बदल जाएगा?
- देश के किसी हिस्से का नागरिक वहां जमीन खरीद सकता है यानि वहां बस सकता है.
- देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर का स्थाई नागरिक बन सकता है.
- स्थाई नागरिक बनने का मतलब हुआ कि वो निवेश कर सकेगा, कारोबार कर सकेगा.
- जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है.
- दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने महिला का पर्सनल लॉ के तहत अचल संपत्ति में हक मिलना शुरू हो जाएगा.
यहां ये बात ध्यान रखने की जरूरत है कि जमीन पर स्थाई नागरिकों का हक 1954 से नहीं, बल्कि इसकी जड़ें 1846 के अमृतसर संधि से जा लगती हैं.
स्टेस सब्जेक्ट क्या है?
ऊपर कई जगह स्टेस सब्जेक्ट शब्द का इस्तेमाल हुआ है. यहां ये जानना दिलचस्प है कि ये स्टेस सब्जेक्ट क्या है. आपको बता दें कि 1846 में ब्रिटिश हुकूमत और महाराजा गुलाब सिंह के बीच एक समझौता हुआ. जिसे अमृतसर संधि कहा जाता है. इसके तहत जम्मू-कश्मीर एक प्रिंसली स्टेट बना. यानि ब्रिटिश हुकूमत के तहत जम्मू-कश्मीर एक स्टेट सब्जेक्ट बन गया.
इसी स्टेट सब्जेक्ट के तहत 1927 में हेरीडेटरी स्टेट सब्जेक्ट ऑर्डर पास हुआ. जिसमें जमीन के इस्तेमाल और मालिकाना हक को लेकर अधिकार दिए गए. इस कानून में ज़मीन का मालिक स्थानीय नागरिकों को बनाया गया.