नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पिछले 40 दिनों से लगातार अयोध्या मामले पर सुनवाई चल रही है. आज इस मामले पर सुनवाई का आखिरी दिन है. सुप्रीम के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कह दिया है कि इस मामले की सुनवाई आज शाम 5 बजे तक पूरी हो जाएगी. अब बहुत हो गया. आज हम मामले की सुनवाई खत्म करके ही उठेंगे. ये मामला पिछले 70 सालों से विवाद का कारण रहा है. अब इस मामले में जल्द फैसला आने की उम्मीद बढ़ गई है. जानें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ है?


मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विवाद पर मध्यस्थता का रास्ता निकाला. लेकिन मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि इस मामले की 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई तबतक चलेगी, जबतक मामले का निपटारा नहीं हो जाता. फिलहाल चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है. पीठ के सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर शामिल हैं.


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इन 40 दिनों में हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने क्या-क्या दलीलें रखीं?




  • मुस्लिम पक्ष- मस्जिद अल्लाह का घर, किसी को सौंप नहीं सकते.

  • हिन्दू पक्ष- शरीयत के हिसाब से वो इमारत मस्जिद नहीं है.

  • मुस्लिम पक्ष- इमारत मस्जिद थी, किसी और का कब्जा नहीं था.

  • हिन्दू पक्ष- इमारत मस्जिद कैसे, वहां वजू की जगह तक नहीं थी.

  • मुस्लिम पक्ष- मस्जिद खाली जमीन पर बनाई गई थी.

  • हिन्दू पक्ष- नहीं विष्णु मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई.

  • मुस्लिम पक्ष- 1886 में फैजाबाद के जिला जज ने मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी.

  • हिन्दू पक्ष- जिला जज ने सांप्रदायिक तनाव की आशंका से ऐसा किया.

  • मुस्लिम पक्ष- हिंदुओं ने बाद में मस्जिद को जन्मस्थान कहना शुरू किया.

  • हिन्दू पक्ष- 1858 में निहंग सिखों ने इमारत में जगह-जगह राम लिखा.

  • हिंदू पक्ष- वाल्मीकि रामायण में अयोध्या श्रीराम का जन्म स्थान.

  • मुस्लिम पक्ष- धार्मिक ग्रंथों के आधार पर मुकदमा नहीं लड़ना चाहिए.

  • हिंदू पक्ष- अटूट आस्था कि विवादित इमारत की जगह जन्मस्थान है.

  • मुस्लिम पक्ष- ये साबित नहीं हुआ कि मस्जिद की गुंबद के नीचे जन्मस्थान.

  • हिंदू पक्ष- बाबर की आत्मकथा 'बाबरनामा' में भी मस्जिद का जिक्र नहीं,

  • मुस्लिम पक्ष- बाबरनामा के 2 गैर-मौजूद पन्नों में मस्जिद का जिक्र था.

  • हिंदू पक्ष- विवादित ढांचे पर शिव, हनुमान, कमल, शेर की आकृतियां.

  • मुस्लिम पक्ष- कमल जैसी बहुत सी आकृतियां इस्लाम में भी हैं.

  • हिंदू पक्ष- एएसआई की रिपोर्ट में लिखा है विवादित जगह पर मंदिर था.

  • मुस्लिम पक्ष- आर्कियोलॉजी कोई विज्ञान नहीं है.


मंदिर-मस्जिद का विवाद कहां से शुरू हुआ?


साल 1949 में विवादित ढांचे में रामलल्ला की मूर्ति अचानक प्रकट हुई. इस पर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच विवाद हुआ. जिसके बाद मुसलमानों से एफआईआर दर्ज कराई कि यह मूर्तियां बाहर से लाकर रखी गई हैं. निचली अदालत ने वहां ताला लगा दिया. इसके दस साल बाद निर्मोही अखाड़े ने विवादित ढांचे पर अपना मालिकाना हक जताते हुए मुकदमा दर्ज कराया. फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना हक जताया. कोर्ट ने यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिए. 1986 तक स्थिति बनी रही फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ताला खुलवा दिया.


दूसरा मोड़ 1989 में आया जब राजीव गांधी सरकार ने ही शिलान्यास की अनुमति दी. सबसे अहम फैसला 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया. कोर्ट ने विवाद को सुलझाने के लिए एक बीच का रास्ता निकाला, लेकिन उस फैसले के बाद भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है.


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. राम मूर्ति वाला हिस्सा रामलला विराजमान को, राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है.