भीमा कोरेगांव हिंसा: 5 राज्यों से 5 गिरफ्तारी, जानें क्या है पूरा मामला?
इसी साल जून में एक आरोपी रोना विल्सन के घर से मिली एक चिट्ठी में उनका नाम था. उस चिट्ठी में राजीव गांधी की हत्या जैसी प्लानिंग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात लिखी थी.
नई दिल्ली: पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा केस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के मामले में पांच राज्यों में छापेमारी कर दिल्ली से एक्टिविस्ट गौतम नवलखा, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और माओवादी विचारक औऱ कवि वरवर राव सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए सभी लोग वामपंथी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं और इसीलिए लेफ्ट पार्टियां ये आरोप लगा रही हैं कि केंद्र सरकार जानबूझ कर उन्हें निशाना बना रही है. जबकि पुलिस का दावा है कि गिरफ्तार किए गए लोग माओवादियों और नक्सलियों से जुड़े हुए हैं.
माओवादियों से सहानुभूति रखते हैं गिरफ्तार किए गए लोग- पुलिस
आज दिनभर देश के तमाम शहरों में पुणे पुलिस की टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी की. इस छापेमारी के निशाने पर वो लोग थे जिन्हें पुलिस कथित तौर पर आठ महीने पहले महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़ा बता रही है. पुलिस के मुताबिक ये लोग माओवादियों से सहानुभूति रखने वाले हैं.
इसी सिलसिले में महाराष्ट्र पुलिस की एक टीम सुबह करीब पांच बजे हैदराबाद में कवि और एक्टिविस्ट वरवरा राव के घर पहुंच गई. पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध राव के समर्थकों की भीड़ जमा हो गई और पुलिस से तुरंत छापेमारी रोकने के लिए कहा.
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चिट्ठी में लिखी गई थी पीएम मोदी को निशाना बनाने की बात
पुलिस के मुताबिक कवि वरवरा राव के घर छापेमारी इसलिए की गयी क्योंकि इसी साल जून में एक आरोपी रोना विल्सन के घर से मिली एक चिट्ठी में उनका नाम था. उस चिट्ठी में राजीव गांधी की हत्या जैसी प्लानिंग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात लिखी थी. पत्र में लिखा है, ‘’मोदी 15 राज्यों में बीजेरी को स्थापित करने में सफल हुए हैं. यदि ऐसा ही रहा तो सभी मोर्चों पर पार्टी के लिए दिक्कत खड़ी हो जाएगी. कॉमरेड किसन और कुछ अन्य सीनियर कॉमरेड्स ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं. हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं. यह आत्मघाती जैसा मालूम होता है और इसकी भी अधिक संभावनाएं हैं कि हम असफल हो जाएं, लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे, उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है. हमें लगता है कि पार्टी का अस्तित्व किसी भी त्याग से ऊपर है.’’
पुलिस का कहना है कि इसके बाद जांच में तेजी लाते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया. पुलिस का दावा है कि उनसे पूछताछ के आधार पर करीब 250 ईमेल की छानबीन हुई और उससे मिले सुराग के आधार पर आज की छापेमारी हुई. ठाणे में सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा को भी हिरासत में लिया गया है.
भीमा कोरेगांव की घटना से कोई रिश्ता नहीं- सुधा भारद्वाज
छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज के फरीदबाद स्थित घर पर भी महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने अचानक धावा बोला. सुधा भारद्वाज को हिरासत में लेकर पुलिस ने उन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. सुधा भारद्वाज के समर्थकों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया. खुद सुधा ने इस बात से इंकार किया कि उनका भीमा कोरेगांव की घटना से कोई रिश्ता है. सुधा भारद्वाज ने कहा है, ‘’पुलिस ने लैपटॉप मोबाइल पेन ड्राइव सब जब्त कर लिया है. इसके साथ ही उनके सोशल नेटवर्किंग साइट्स के पासवर्ड भी ले लिए हैं. वह नहीं जानती पुलिस इन सब जानकारियों के साथ क्या करेगी?’’
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा भी गिरफ्तार
दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा के घर भी इसी मामले में छापेमारी हुई पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के एक दिन पहले 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम में जो भाषण दिए गए उनके कारण ही हिंसा भड़की और इसीलिए उन तमाम लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर उस कार्यक्रम में शामिल लोगों से जुड़े हैं.
डराने के लिए ये कार्रवाई कर रही है सरकार- लेफ्ट
लेकिन लेफ्ट समेत तमाम एक्टिविस्ट का आरोप है कि भीमा कोरेगांव के नाम पर सरकार अपने खिलाफ बोलने वालों को डराने के लिए ये कार्रवाई कर रही है. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से महत्वपूर्ण दस्तावेज, किताबें और कुछ साहित्य बरामद किया गया है. लेकिन सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या इन लोगों को दोषी साबित करने के लिए ये सबूत काफी होंगे.
क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा? बता दें कि इसी साल जनवरी में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी. पूरा झगड़ा 29 दिसंबर से शुरू हुआ था. 29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई. एक जनवरी को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुए और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और फिर हिंसा बढ़ती गई. देखें दिनभर की 100 बड़ी खबरें-
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