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CBI vs CBI: क्या है आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई? पढ़ें A से Z तक पूरी कहानी

CBI vs CBI : 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया. 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पर एक कारोबारी से दो करोड़ रुपये का रिश्वत लेने का आरोप है. इससे पहले अस्थाना ने आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शिकायत की थी.

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई खुद जांच के घेरे में है. जांच का जिम्मा भी सीबीआई के पास ही है. करोड़ों कि रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है. वर्मा की जगह ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर का पद दिया गया है. पूरा घटनाक्रम मंगलवार रात को शुरू हुआ और इसकी खबर सुबह सुर्खियों में आई. सूत्रों के मुताबिक, आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के दफ्तरों को सील कर दिया गया है. सीबीआई मुख्यालय में फिलहाल न तो सीबीआई कर्मियों और न ही बाहरी लोगों को जाने की इजाजत है. फिलहाल सिर्फ अधिकारियों की एक टीम इमारत में है.

यह अपने आप में अनोखा मामला है. जांच एजेंसी के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है. दरअसल, आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की अदावत पुरानी है. दोनों की लड़ाई कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंची लेकिन इस बार मामला कोर्ट तक जा चुका है. समझें क्या है पूरा मामला?

पहली एफआईआर 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया. 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पर एक कारोबारी से दो करोड़ रुपये का रिश्वत लेने का आरोप है, जो मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले के तहत जांच के दायरे में थे. यह रकम उनको जांच को प्रभावित करने के लिए दिया गया था. मामला अस्थाना की अगुवाई में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही थी.

सीबीआई ने बिचौलिया मनोज की गिरफ्तारी के बाद एफआईआर दर्ज की थी. मनोज ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में अस्थाना को दो करोड़ रुपये की रकम देने की पुष्टि की है. मोइन कुरैशी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.

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सीबीआई ने कहा, "हैदराबाद के सतीश बाबू साना की शिकायत के बाद राकेश अस्थाना, देवेंद्र और दो अन्य व्यक्ति, मनोज प्रसाद और सोमेश्वर प्रसाद के विरुद्ध 15 अक्टूबर को एफआईआर (प्रथम जांच रिपोर्ट) दर्ज की गई." एजेंसी का आरोप है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई.

पहली गिरफ्तारी 15 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज होने के बाद 22 अक्टूबर को इस मामले में पहली गिरफ्तारी हुई. सीबीआई ने पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया. फिलहाल देवेंद्र सात दिनों की सीबीआई हिरासत में हैं.

CBI vs CBI: क्या है आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई? पढ़ें A से Z तक पूरी कहानी

हाईकोर्ट पहुंचे अस्थाना एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद कल राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे. जहां राकेश अस्थाना को थोड़ी राहत मिली. हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई को अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मौजूदा जांच के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और सोमवार तक उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को मुकर्रर की है.

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अस्थाना ने आलोक वर्मा पर लगाया झूठा फंसाने का आरोप सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया कि एजेंसी के प्रमुख आलोक कुमार वर्मा अपने आपराध को छिपाने के लिए रिश्वत मामले में उन्हें ‘झूठा फंसाने’ की कोशिश कर रहे हैं. अस्थाना और देवेंद्र कुमार ने दावा किया कि एफआईआर दर्ज करने में अनावश्यक जल्दबाजी दिखायी गयी और सीबीआई ने अपने ही अधिकारियों के खिलाफ एक आरोपी 'सना' के फर्जी आरोपों को स्वार्थो के लिए परम सत्य मान लिया गया.

CBI vs CBI: क्या है आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई? पढ़ें A से Z तक पूरी कहानी

फ्लैशबैक अस्थाना केस दर्ज होने से पहले अपने बॉस आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं. सूत्रों के अनुसार, अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक पत्र लिखकर आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए थे. इसी पत्र में यह भी आरोप लगाया गया था कि साना ने इस मामले में क्लीनचिट पाने के लिए सीबीआई प्रमुख को दो करोड़ रुपये दिये.

सूत्रों के अनुसार यह शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास भेजी गयी जो इस मामले की जांच कर रहा है. सीबीआई ने अपने निदेशक आलोक वर्मा का विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के आरोपों से बचाव करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप ‘मिथ्या और दुर्भावनापूर्ण’ हैं.

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जुलाई में भी सीबीआई के अंदर चल रही लड़ाई की रिपोर्ट सामने आई थी. तब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने पोस्टिंग को लेकर चल रही खेमेबाजी पर खबर छापी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्थाना खेमे ने वर्मा खेमे के अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं होने दी वहीं निदेशक वर्मा ने अस्थाना के खास लोगों को सीबीआई में एक्सटेंशन नहीं दिया. सीबीआई ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को लिखे पत्र में कहा कि अस्थाना वर्तमान निदेशक आलोक वर्मा की जगह लेने योग्य नहीं हैं. आपको बता दें कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों में सीवीसी की हरी झंडी के बाद ही पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं.

विपक्ष को मिला मौका आरोप-प्रत्यारोप के बीच ये लड़ाई प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंची. सूत्रों के मुताबिक, वर्मा और अस्थाना को दोनों ही विवाद के बाद पीएम मोदी ने तलब किया. लेकिन लड़ाई तब तक सार्वजनिक हो चुकी थी. हालिया विवाद को विपक्षी दलों ने हाथों-हाथ लिया. बात सबसे बड़ी जांच एजेंसी की थी. जानिए आखिर कौन है मोईन कुरैशी जिसके कारण सीबीआई में मचा है कोहराम

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री के चहेते, गुजरात कैडर के अधिकारी, गोधरा पर गठित एसआईटी से प्रसिद्धि में आए और सीबीआई में नंबर दो के रूप में घुसाए गए अधिकारी को अब रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है." अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सीबीआई को राष्ट्रीय अपमान में तब्दील कर दिया है.

आपको बता दें कि सीबीआई के मौजूदा निदेशक आलोक वर्मा जनवरी 2019 में रिटायर होंगे. वर्मा 1979 बैच के यूपी काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. वर्मा के बाद सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना सीबीआई प्रमुख के दौड़ में सबसे आगे है. अस्थाना 2021 में रिटायर होंगे. अस्थाना 1984 बैच के गुजरात काडर के अधिकारी हैं.

आपको बता दें कि राकेश अस्थाना का सीबीआई का विशेष निदेशक नियुक्त करने को लेकर भी विवाद हुआ था. तब स्वयंसेवी संस्था कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अस्थाना की नियुक्ति का विरोध किया था. उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.

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