नई दिल्ली: जिस तरह से अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य कहा जाता है, ठीक वैसे ही अहमद पटेल कांग्रेस के चाणक्य कहे जाते हैं. साल 1976 से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले अहमद पटेल तीन बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं.
अहमद पटेल का सियासी सफर
कांग्रेस के चाणक्य अहमद पटेल को पांचवीं बार राज्यसभा पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है. 78 साल के अहमद पटेल को यू ही नहीं कांग्रेस का चाणक्य कहा जाता है. साल 2004 और 2009 में कांग्रेस को सत्ता दिलाने में अहमद पटेल की बड़ी भूमिका थी. माना जाता है कि चुनाव जीताने में उन्हीं की रणनीति थी.
महज 26 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीते
21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले में जन्मे अहमद पटेल की राजनीतिक नींव 1976 में पड़ी थी, तब उन्होंने पहली बार निकाय चुनाव में जीत हासिल की थी. साल 1977 में महज 26 साल की उम्र में अहमद पटेल पहली बार लोकसभा चुनाव जीते. तब इमरजेंसी के खिलाफ कांग्रेस के खिलाफ माहौल था, तब भी अहमद पटेल जीतने में कामयाब हुए.
राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे
इसके बाद साल 1977 से 1989 के बीच तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए. इसी दौरान 1985 से 1986 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे. अहमद पटेल साल 1993 से पांच बार राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए.
साल 2001 में सोनिया के राजनीतिक सचिव बने
साल 2001 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव बने. तब से अहमद पटेल पर्दे के पीछे से कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने लगे. साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी अहमियत कांग्रेस के चाणक्य के रूप में होने लगी.
इंदिरा गांधी के बेहद भरोसेमंद थे अहमद पटेल
यूपीए सरकार के दौरान अहमद पटेल के पास ना तो कोई मंत्री पद था और ना ही वो मीडिया के सामने आते थे, फिर भी वो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे. अहमद पटेल इंदिरा गांधी के भी बेहद भरोसेमंद थे और उसके बाद राजीव गांधी और अब सोनिया और राहुल के भी बेहद करीबी हैं.
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