कहां से शुरू हुआ विवाद?
दरअसल अयोध्या विवाद को लेकर पांच दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. लेकिन अयोध्या विवाद की सुनवाई 2019 के चुनाव के बाद हो, कपिल सिब्बल के इस बयान के बाद बीजेपी कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमलावर हो गई. बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस चुनाव की वजह से इस मुद्दे को लटकाना चाहती है.
हमने नहीं कही सुवाई टालने की बात- सुन्नी वक्फ बोर्ड
कपिल के इस बयान के बाद अयोध्या विवाद के पक्षकार हाजी महबूब अंसारी के उस बयान पर बवाल हो गया जिसमें उन्होंने कहा था, "कपिल सिब्बल ने किस वजह से ये कह दिया कि इसकी सुनवाई 2019 के बाद हो. उसे मैं गलत समझता हूं. मैं नहीं चाहता कि 1992 की तारीख फिर दोहराई जाए. कपिल सिब्बल हमारे वकील जरूर हैं, लेकिन वो कांग्रेस नेता भी हैं और हम लोगों को मालूम नहीं था कि कोर्ट में वह ऐसी बात करेंगे."
मैं सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश नहीं हुआ- कपिल सिब्बल
वहीं, कल इस मामले में नया मोड़ तब आ गया जब सिब्बल ने दावा किया कि वो सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘’पांच दिसंबर को जब हमारी पेशी हुई तो मैं सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश नहीं हुआ. अच्छा होता कि हमारे प्रधानमंत्री जी पहले जानकारी करते और फिर कुछ बयान देते. जब भगवान चाहेगा तभी राम मंदिर बनेगा.’’
बीजेपी ने पेश किए दस्तावेज
अब एक बार फिर बीजेपी की ओर से दस्तावेज पेश करते हुए ये दावा किया गया है कि कपिल सिब्बल सुन्नी वक्फ बोर्ड के ही वकील हैं. ये दस्तावेज बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पेश किए हैं.
माफी मांगे कपिल सिब्बल- बीजेपी
गौरव भाटिया के मुताबिक, ‘’कपिल सिब्बल ने कहा कि कि वो सुनी वक़्फ़ बोर्ड के वक़ील नहीं है. जबकि दस्तावेज़ों के मुताबिक़ वह सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील बने हैं. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पर जानकारी की अभाव को लेकर टिप्पणी करना ग़लत है. यह बेहद आपत्तिजनक है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. कपिल सिब्बल को इसपर माफ़ी मांगनी चाहिए.
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