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MUST READ: कौन है जसपाल अटवाल और उग्रवादी होने के बावजूद कैसे भारत आया?
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, तीन साल मे गृहमंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों के साथ चार बार रिव्यु कर 167 संदिग्ध उग्रवादियों के नाम ब्लैक लिस्ट से हटा दिया, जिसमें जसपाल अटवाल का नाम भी शामिल था.
नई दिल्ली: जसपाल अटवाल नाम के शख्स को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा पर विवाद हो रहा है. दरअसल जसपाल अटवाल खालिस्तान समर्थक उग्रवादी है और ये प्रतिबंधित संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन में काम करता था. कनाडा सरकार इस संगठन को बहुत पहले आतंकी संगठन घोषित कर चुकी है.
गृह मंत्रालय ने ब्लैकलिस्ट से दिया था अटवाल का नाम
अटवाल पंजाब के पूर्व मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू पर वैंकूवर आइलैंड में जानलेवा हमला कर चुका है. साल 2016 के मार्च महीने में गृह मंत्रालय ने ब्लैकलिस्ट से अटवाल का नाम हटा लिया था. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने 167 संदिग्ध उग्रवादियों के नाम ब्लैक लिस्ट से हटाए थे, जिसमें अटवाल भी शामिल था.
अटवाल भारत आया कैसे?
कनाडा में बसे सिख उग्रवादी जसपाल अटवाल के भारत आने का रास्ता मोदी सरकार बनने के बाद साफ हुआ. अटवाल के कनाडा के प्रधानमंत्री के डिनर में निमंत्रण के बाद सवाल उठा कि अटवाल भारत आया कैसे? पड़ताल में पता चला कि अटवाल वीज़ा देने की सबसे बड़ी वजह है कि उसका नाम गृह मंत्रालय के ब्लैक पूल/लिस्ट से हटा लिया गया था.
देश के दुश्मनों को भारत आने से रोकने के लिए ब्लैक लिस्ट में डाला गया था अटवाल का नाम
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, संदिग्ध सिख उग्रवादियों (जिसमें कई मोस्ट वांटेड थे) के भारत आने से रोकने के लिए खुफ़िया एजेंसियों और इमीग्रेशन विभाग ने उनका नाम ब्लैक पूल में डाल दिया था ताकि विदेश की नागरिकता ले चुके देश के दुश्मनों को भारत आने से रोक जा सके. ये पूरी सेक्रेट लिस्ट वीज़ा जारी करने वाले विदेश मंत्रालय के दूतावासों और हाई कमीशन के अलावा इमीग्रेशन विभाग के पास था.
सिख संगठनों ने ब्लैक पूल को खत्म करने की मांग की थी
लेकिन गृहमंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, साल 2014 मोदी सरकार बनने के बाद इस लिस्ट में रिव्यु कर नाम हटाने की काम मे तेज़ी आई. दरअसल जब साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन गए थे तो सिख संगठनों ने ब्लैक पूल को खत्म करने और इसमें शामिल नामों को भारत आने पर लगी पाबंदी हटाने की मांग की थी.
सिख संगठनों ने की मांग पर मोदी सरकार ने अपनाया था सकारात्मक रुख
पंजाब चुनाव से पहले अकाली दल, अकाल तख्त के जत्थेदार सहित सिख संगत ने इस ब्लैक लिस्ट को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की थी. उनकी दलील थी कि ज्यादातर लोग अब सामान्य जिंदगी जीना चाहते हैं और भारत आकर अपने सगे सम्बंधियों से मिलना चाहते हैं. मोदी सरकार ने उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाया.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, तीन साल मे गृहमंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों के साथ चार बार रिव्यु कर 167 संदिग्ध उग्रवादियों के नाम ब्लैक लिस्ट से हटा दिया, जिसमें जसपाल अटवाल का नाम भी शामिल था.
1986 में कोर्ट ने अटवाल को ठहराया था दोषी
खुफिया सूत्रों के मुताबिक़, अटवाल के साथ ही कनिष्क विमान बॉम्बिंग में बरी हो चुके रिपुदमन सिंह मल्लिक, पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के साजिश में शामिल रेशम सिंह और भिंडरावाले के नजदीकी मास्सा सिंह का नाम भी इस लिस्ट से हटा लिया गया था.
कनाडा की अदालत ने अटवाल को साल 1986 में वैंकुवर में पंजाब के मंत्री मालकियत सिंह संधू पर हमला करने का दोषी ठहराया था. एक साल बाद हाइकोर्ट ने उसकी सज़ा खत्म कर दी थी.
ब्लैक पूल/लिस्ट में थे 210 नाम
दरअसल केंद्र सरकार ने वांटेड या संदिग्ध गतिविधियों में शामिल सिख उग्रवादियों के ब्लैक पूल/लिस्ट बनाया था, जिसमें जर्मनी, कनाडा और ब्रिटेन में बसे 210 नाम थे. इन उग्रवादी नेताओं पर खुफिया एजेंसियों के मुताबिक विदेश में रहकर भारत को तोड़ने और खालिस्तान बनाने के मुहीम में चलाने का शक था.
शुरुआत में 219 नाम थे, लेकिन तत्तकालीन यूपीए सरकार ने 2011 में सिख संगठनों की मांग पर समीक्षा शुरू कर दी थी. हालांकि अब भी 43 सिख उग्रवादी नेता (जिनमें कई मोस्टवांटेड है) का नाम अब भी इस लिस्ट में है और खुफिया एजेंसियां उनके गतिविधियों को देखते हुए इस लिस्ट को बनाये रखने के पक्ष में है.
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अशोक वानखेड़ेवरिष्ठ पत्रकार
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