नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की है. मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र का एक ऐसा संगठन है जिसे आतंकियों का समर्थक कहा जाता है. बर्लिन में राहुल गांधी ने बगदादी और लादेन को बेरोजगारी की उपज बताया था. वहीं, आज लंदन के एक कार्यक्रम में उन्होंने आरएसएस की तुलना आतंकियों के हमदर्द से कर दी.


पहले जानें क्या है मुस्लिम ब्रदरहुड’?


मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना 1928 में हसन अल-बन्ना ने की थी. यह मिस्र का सबसे पुराना इस्लामिक संगठन है. इस संगठन ने पूरे दुनिया में इस्लामिक आंदोलनों को प्रभावित करने का काम किया है. मिस्र में यह संगठन अवैध करार दिया जा चुका है, लेकिन इस संगठन ने कई दशक तक सत्ता पर काबिज रहे राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को बेदखल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ब्रदरहुड का कहना है कि वो लोकतांत्रिक सिद्धांतो का समर्थन करता है और उसका एक मुख्य मकसद है कि देश का शासन इस्लामी कानून यानि शरिया के आधार पर चलाया जाए.


मिस्र की मुख्यधारा में लौटना चाहता है मुस्लिम ब्रदरहुड


पूरे अरब में ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ की विचारधारा फैली हुई है. इसका हथियारबंद दस्ता ब्रिटिश शासन के खिलाफ रहा है. इसके रिश्ते लेबनान के आतंकी संगठन हिज़्बुल्लाह और फिलिस्तीनी के हमास से रहे हैं. फिलहाल ये संगठन मिस्र की मुख्यधारा में लौटना चाहता है.


लंदन में राहुल ने कहा- RSS की सोच मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी


राहुल गांधी ने क्या कहा है?


राहुल गांधी ने कहा है, ‘’आरएसएस भारत की प्रकृति को बदलने की कोशिश कर रहा है. अन्य पार्टियों ने भारत की संस्थाओं पर कब्जा करने के लिए कभी हमला नहीं किया. आरएसएस की सोच अरब देशों की मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी है.’’ उन्होंने कहा, ‘’भारत तभी सफल हुआ, जब सत्ता विकेंद्रीकृत हुई. पिछले चार सालों में बड़े पैमाने पर सत्ता का केंद्रीकरण हुआ है.’’


कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘’बीजेपी और आरएसएस हमारे अपने लोगों को बांट रहे हैं. वे हमारे देश में नफरत पैदा कर रहे हैं. हमारा काम लोगों को साथ लाना और देश को आगे की ओर ले जाना है. हमने दिखाया है कि यह कैसे किया जा सकता है.’’


क्या है आरएसएस?


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर साल 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार ने की थी. बीजेपी आरएसएस की राजनीतिक इकाई है और देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आरएसएस के स्वयंसेवक रह चुके हैं. देश में आरएसएस के लाखों सदस्य हैं. सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने में इस संगठन का बड़ा योगदान है. संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है.


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